70 के दशक की हिट फिल्म दीवार में बच्चन साहब कहते हैं, “आज मेरे पास बिल्डिंगें हैं, प्रॉपर्टी है, बैंक बैलेंस है, बंगला है, गाड़ी है.....क्या है तुम्हारे पास?” इस पर शशि कपूर बेहद संजीदगी के साथ जवाब देते हैं, “मेरे पास मां है।”
करीब 45 साल पहले और आज 2021 के दौर में भी यह सवाल उठता है कि हमारी #Life की असली पूंजी क्या है। धन-दौलत या कुछ और, जिसे हम जानते हुए भी अंजान बने हुए हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि रुपया-पैसा जरूरी नहीं है, लेकिन इससे ज्यादा कीमती भी कोई चीज है, जो हमें धनवान बनाती है। अब तक तो आप के मन-मंदिर में कई सारे विचार आ चुके होंगे और हो सकता है वे सही भी हों। तो मेरे मित्रों ये दौलत है, हमारे रिश्ते, हमारे अच्छे संस्कार और हमारी शिक्षा। ये आपकी लाइफ के ऐसे नगीने हैं, जो गाड़ी-बंगले से कहीं ज्यादा कीमती हैं, मानते हैं न इस बात को। तो बाकी चीजें रहें न रहे, इन्हें आपने सहेज लिया तो हम सब अमीर कहलाएंगे।
रिश्तों की अहमियत/Importance of relationships
हमारी #life की जो सबसे अहम पूंजी है उसे मैंने पहले रखा है और वो है हमारे #Relation। ये सबसे ज्यादा सेंसिटिव और नाजुक होते हैं, क्योंकि 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' इसे जानने में कई बार सारी ज़िंदगी निकल जाती है। कुछ रिश्ते हमारे जन्म लेते ही हमारे साथ जुड़ जाते हैं, मसलन माँ-बाप, भाई-बहन और भी बहुत सारे हैं, लेकिन कई रिश्ते ऐसे होते हैं, जो हम खुद तय करते हैं जैसे #Friend और #Life Partner। रिश्ते सेंसिटिव इसलिए होते हैं क्योंकि ये हमारे दिल और दिमाग दोनों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इनकी अहमियत को समझना बेहद जरूरी है। चाहे वो रिश्ता माँ-बेटे का हो, बाप-बेटे का हो, पति-पत्नी का हो या फिर दोस्ती का और प्रेमी-प्रेमिका का ही क्यों न हो। हर रिश्ते की एक अपनी आजादी और एक सीमा होती है। दोनों के प्रभावित होने पर जिस नाजुक डोर से ये रिश्ता बंधा होता है वो टूट सकती है। जहां ज्यादा बंदिशों से ये डोर टूट सकती है तो वहीं ज्यादा करीब आने से डोर उलझ जाती है और इसका असर हमारे रिश्तों पर पड़ता है। अगर डोर टूटती है तो दोबारा जोड़ने पर उसमें गांठ रह जाती है और उलझन जाए तो उसे सुलझाने में काफी वक्त लग जाता है। बावजूद इसके वो कहीं न कहीं से उलझा हुआ रहता है। तो इस डोर को बड़ी ही नजाकत और मजबूूती के साथ पकड़ कर रखो, जिससे न तो रिश्ता टूटे और न ही वह बंधा हुआ महसूस करे।
संस्कार हैं जरूरी/Rites are important
दूसरे नंबर पर हैं हमारे संस्कार। ये ऐसी पूंजी है, जिसकी वजह से हम लोगों के दिलों में रह सकते हैं और ये हमें एक अच्छा इंसान बनाते हैं। बचपन मे मिले अच्छे संस्कार ही हमें जीवन में सफल होने के बाद भी जमीन से जुड़े रहने में मदद करते हैं। किसी situation में हमारे नज़रिए और विचारों के विकास में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक कहावत हैं कि बच्चों को जैसा माहौल मिलेगा, वे उसी माहौल में ढलते चले जाएंगे। फिर #Joint Family हो या #Nuclear Family। आज के समय में जब पति-पत्नी दोनों नौकरीपेशा होते हैं ऐसे में वे अपने बच्चों के लिए ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं। इस वजह से दिन का वक्त उनका डे-बोर्डिंग या क्रेच में गुजर जाता है। इन जगहों पर पढ़ाने का ही दबाव इतना होता है, ऐसे में संस्कार का पाठ पढ़ाने के लिए ये कितनी मेहनत करते होंगे, ये इन बच्चों के मां-बाप काफी बेहतर तरह से जानते हैं। 2-3 साल का बच्चा अगर अपनी तोतली बोली में बड़ों को कुछ गलत बोल दे तो उसे मजाक में उड़ाया जा सकता है, लेकिन सही समय पर अगर इसे रोका और टोका न जाए तो एक समय के बाद आपका मजाक बनने में देर नहीं लगेगी। इसलिए हम बच्चों के साथ मिल रहे कम समय में ही उन्हें अच्छे संस्कारों (बड़ों का सम्मान करना, दया की भावना पैदा करना, भगवान और खुद पर भरोसा रखना, दूसरों की मदद करना) की सीख देकर और समय-समय पर उनकी #Counselling कर उनकी #Personality को बेहतर बना सकते हैं। इसके अलावा बच्चों को छुट्टीयों पर ग्रैंड पैरेंट्स के पास ले जाना भी बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
शिक्षा ही संवारेगी भविष्य/Education will shape the future
एक कहावत है कि पढ़ाई कभी ज़ाया नहीं जाती और सही भी है। ऐसे में कह सकते हैं कि #Education ऐसी पूंजी है जिसकी वजह से इंसान का #Future तय होता है। इसलिए अच्छी परवरिश के साथ बेहतर शिक्षा भी जरूरी है। इसके जरिए ही इंसान को कई अवसर मिलते हैं, जो उसे सफलता की राह में आगे बढ़ने में मददगार साबित होते हैं। पढ़ाई पूरी तरह से किताबी न हो, इस बात पर एक हिट फिल्म का डायलॉग याद आता है #बच्चा काबिल बनो, कामयाबी झक मारकर आपके पास आएगी। कहते हैं कि एक शिक्षित इंसान का सम्मान समाज में हर कोई करता है। इसके अलावा अच्छी #Job, #Promotion, #Business में भी इसकी वजह से सफलता हासिल कर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। बच्चों को पढ़ने की आदत हो इसके लिए शुरू से ही उन्हें प्रेरित करने की जरूरत है। साथ ही उनकी रुचि का भी ख्याल रखने की जरूरत है ताकि सही दिशा में वे आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़े और मान सम्मान देकर उसके हकदार भी बनें।
तो देखा आपने कि हमारे रिश्ते, संस्कार और शिक्षा किस तरह से हमारी लाइफ की अनमोल पूंजी के रूप में सामने आते हैं। इसके आगे दौलत क्या है, जो कुछ पलों की मेहमान होती है। असली दौलत तो यही है, जो हमें अकेला नहीं होने देती, हमारे अच्छे वक़्त में भी और बुरे वक़्त में भी। इसलिए इस पूंजी को हमेशा सहेज कर रखो और इसे खोने का डर मत रखो क्योंकि न ये खो सकती है और न ही इसे कोई आपसे छीन सकता है। इतना ही नहीं बांटने से ये कभी कम भी नहीं होगी।
फिर मिलेंगे, तब तक अपना और अपनों का ख्याल रखिए। साथ ही इसे शेयर कीजिए और कमेंट दीजिए।
धन्यवाद 💐💐
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