कृष्ण भक्ति में लीन अपनी भक्त को दर्शन देकर दिया वरदान
Bharat Nwesshala, 11
December, 2021
बच्चों के मन में बहुत
से विचार रोजाना उमड़ रहे होते हैं। इन्हीं विचारों को उनके शब्दों में खाली पन्ने
पर उकेर दिया जाए तो वह एक कहानी का रूप ले सकते हैं। 'बच्चों का कोना' सेगमेंट में
पहली कहानी ‘बूढ़ी अम्मा और उनके कान्हा जी’ सात साल की आद्या सोनी की है। तो आइये
आद्या के मन के इन शब्दों को पढ़कर देखें भक्ति का यह रंग....
एक समय की बात है, एक गांव में बूढ़ी अम्मा रहती थीं। वह लोगों के घरों में काम करके अपना घर चलाती थीं। वह भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) की बहुत भक्ति करती थीं। वह हमेशा कृष्ण का नाम लिया करती थीं। जब भी समय मिलता वह मंदिर में कीर्तन करती थीं और खाली समय में मंदिर में साफ-सफाई भी किया करती थीं। एक दिन उन्होंने सोचा कि वह लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) की पीतल की एक मूर्ति अपने घर लाएंगी, लेकिन उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे। जब वह अपने गुल्लक को तोड़ती हैं तो देखती है कि तो उसमें थोड़े से पैसे होते हैं। वह सोचती हैं कि चलो बड़ी न सही छोटी ही मूर्ति खरीद लेती हूं। इसके बाद वह दोपहर में बाजार जाती हैं। दुकान पर वह सुंदर और छोटे से लड्डू गोपाल देखती है। उन्हें वह अच्छे लगते हैं तो वह खरीद कर अपनी छोटी सी झोपड़ी में ले आती है, लेकिन लड्डू गोपाल को लेने के बाद उसके पैसे खत्म हो जाते हैं और वह उनके लिए कपड़े (Laddu Gopal Dress) नहीं खरीद पाती हैं। इसके बाद वह घर आ जाती है।
रात को वह सोचती हैं कि क्यों न मैं खुद उनके
लिए कपड़े बना दूं। रात बहुत हो चुकी थी इसलिए वह सो जाती है। जैसे ही सुबह होती
है तो वह मंदिर में लड्डू गोपाल को देखकर चौंक जाती है। वह देखती है कि लड्डू गोपाल
ने सुंदर से कपड़े पहने हुए थे। तभी उनकी झोपडी के दरवाजे पर कोई ठक-ठक करता है। जैसे
ही वह दरवाजा खोलती हैं तो एक सुंदर सा बच्चा खड़ा दिखता है।
वह बच्चा कहता है कि दादी आप क्या मुझे थोड़ा सा
जल दे सकती हैं। बूढ़ी अम्मा कहती हैं कि बेटा अंदर बैठ जाओ मैं तुम्हें जल देती
हूं। वह बच्चा कहता है कि ठीक है दादी मैं अंदर आ जाता हूं। बच्चा, लड्डू गोपाल को
देखकर कहता है कि दादी आपके लड्डू गोपाल तो मेरे भाई जैसे दिखते हैं। अच्छा बेटा,
यह लड्डू गोपाल तुम्हारे भाई जैसे दिखते हैं। बूढ़ी अम्मा कहती है मैं तुम्हारे लिए प्रसाद लाती हूं और वह अपने मंदिर
की तरफ जाती हैं। यहां वह देखती है कि मंदिर में लड्डू गोपाल की मूर्ति नहीं है।
वह घबरा जाती है और कहती है कि मेरे ठाकुर जी कहां चले गए।
वह बच्चा भी वहां आ जाता है और पूछता है, क्या हुआ दादी।
बूढ़ी अम्मा कहती हैं मेरे ठाकुर जी कहीं चले गए हैं।
बच्चा कहता है कि मुझे
माफ कर दीजिए दादी, मैंने आपसे झूठ कहा।
बूढ़ी अम्मा कहती हैं,
क्या!
बच्चा कहता है कि मैं
ही आपका लड्डू गोपाल हूं।
अम्मा कहती हैं कि तुम
मेरे ठाकुर जी नहीं हो सकते हो।
तब वह बच्चा अपना असली रूप दिखाता है।
बूढ़ी अम्मा चौंक जाती हैं। क्योंकि उनके ल़ड्डू
गोपाल सामने खड़े थे।
बूढ़ी अम्मा कहती हैं कि हे भगवान, तुम तो मेरे
लड्डू गोपाल ही हो।
लड्डू गोपाल कहते हैं, हां मैं आपका ल़ड्डू
गोपाल हूं और मैं आपकी भक्ति से प्रसन्न हुआ हूं। आप अपनी तीन इच्छाएं मांग सकती
हैं।
बूढ़ी अम्मा कहती हैं कि मुझे एक वरदान चाहिए।
ठाकुर जी कहते हैं, सिर्फ एक वरदान। ठीक है
मांगो।
बूढ़ी अम्मा कहती हैं, आप उसी बच्चे के रूप में
मेरे घर में रह जाइए।
ठाकुर जी कहते हैं ठीक है।
इसके बाद वह उसी वच्चे के रूप में वापस आ जाते हैं और बूढ़ी अम्मा के साथ रहने लगते हैं।
नोट – अगर आपके बच्चे में भी है कहानी कहने की प्रतिभा तो उसकी कहानी को कम से कम 300 शब्दों में हमारी मेल आईडी- anandsoni0814@gmail.com पर भेजें। हम उसे 'बच्चों का कोना' सेगमेंट में पब्लिश करेंगे। धन्यवाद
Beautiful .well said and written
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