क्या होता है Digital Rape

नोएडा में 80 साल के आर्टिस्ट पर लगा डिजिटल रेप का आरोप, गिरफ्तार

What is digital Rape

Bharat Newsshala

हाल ही में दिल्ली से सटे नोएडा (Noida) में एक 80 साल के आर्टिस्ट को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उस पर डिजिटल रेप (Digital Rape) का आरोप लगा है। इस गिरफ्तारी से डिजिटल रेप जैसा एक टर्म लोगों के सामने आया है। उनके मन मे कई सवाल हैं कि आखिर क्या है यह डिजिटल रेप ?  कैसे इसका पता चलता है ? इसकी सजा और सामान्य रेप की सजा में कोई अंतर है या नहीं ? इसे आइडेंटीफाई कैसे किया जाता है और न जाने क्या-क्या। तो आइये हम आपको देते हैं इन सभी सवालों के जवाब।

सबसे पहले जानते हैं घटना के बारे में

दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में मौजूद नोएडा में पुलिस ने 81 साल के एक स्केच आर्टिस्ट को गिरफ्तार किया है। उस पर 17 साल की नाबालिग युवती के साथ डिजिटल रेप करने का आरोप है। आरोपी मौरिस राइडर मूल रूप से यूपी के प्रयागराज (Prayagraj) का रहने वाला है। फिलहाल वह कई सालों से नोएडा में रह रहा है। पुलिस ने बताया कि आरोपी उसे काफी समय से परेशान कर रहा था, लेकिन पीड़ित युवती शिकायत दर्ज कराने से डरती थी। बाद में उसने आरोपी के यौन संबंधों को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। जब उसके पास काफी सबूत इकट्ठा हो गए, तब उसने इसकी जानकारी अपने पेरेंट्स को दी। पेरेंट्स की शिकायत पर नोएडा पुलिस (Noida Police) ने डिजिटल रेप का मामला दर्ज किया। आरोपी उंगलियों के जरिए पीड़िता का यौन उत्पीड़न करता था।

क्या होता है डिजिटल रेप

इस अपराध को 2013 के आपराधिक कानून संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (IPC) में शामिल किया गया था। इसे निर्भया अधिनियम (Nirbhaya Act) भी कहा जाता है। जानकारों के मुताबिक ये डिजिटल रेप दो शब्दों को जोड़कर बना है, जो डिजिट (Digit) और रेप (Rape) हैं। इंग्लिश के डिजिट का मतलब हिंदी में अंक होता है, वहीं अंग्रेजी के शब्दकोश में डिजिट अंगुली, अंगूठा, पैर की अंगुली इन शरीर के अंगो को भी डिजिट कहा जाता है। अगर कोई शख्स महिला या युवती की बिना सहमति के उसके प्राइवेट पार्ट्स (Private Parts) को अपनी अंगुलियों या अंगूठे से छेड़ता है तो ये डिजिटल रेप की श्रेणी में आता है। मतलब जो शख्स अपने डिजिट का इस्तेमाल करके यौन उत्पीड़न करता है तो ये डिजिटल रेप कहा जाता है।

रेप से कितना अलग है डिजिटल रेप

रेप और डिजिटल रेप में सीधा फर्क है रिप्रोडक्टिव आर्गन के इस्तेमाल का। हालांकि, कानून की नजर में रेप और डिजिटल रेप में कोई फर्क नहीं। 2012 से पहले डिजिटल रेप छेड़छाड़ के दायरे में था, लेकिन निर्भया केस (Nirbhya Case) के बाद इसे रेप की कैटेगरी में जोड़ा गया। दिसंबर 2012 में दिल्ली में निर्भया केस के बाद यौन हिंसा से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई थी। भारत के पूर्व चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सुझाव दिए। 2013 में रेप की परिभाषा को फोर्स्ड पीनो-वजाइनल पेनिट्रेशन से बढ़ाया गया। नई परिभाषा के मुताबिक, महिला के शरीर में किसी भी चीज या शारीरिक अंग को जबरदस्ती डालना रेप माना गया।

2013 से पहले के दो प्रमुख मामले

नोएडा से पहले मुंबई (Mumbai) और दिल्ली (Delhi) में डिजिटल रेप के मामले सामने आ चुके हैं। मुंबई में 2 साल की मासूम के वजाइना में उंगलियों के निशान मिले थे। तब यौन उत्पीड़न या रेप के कोई संकेत नहीं मिले थे। जांच में पता चला था कि उसका पिता ही ऐसी हरकत करता था, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि उसे IPC के सेक्शन 376 के तहत दंडित या आरोपित नहीं किया गया जो रेप से संबंधित है। दूसरे मामले में दिल्ली में एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने एक 60 वर्षीय महिला के साथ डिजिटल रेप किया। महिला अपने एक रिश्तेदार के यहां शादी में शामिल होने ऑटो से जा रही थी। इस दौरान ड्राइवर ने महिला के वजाइना में आयरन रॉड डाल दी थी। तब IPC के सेक्शन 376 के तहत उसे दोषी नहीं ठहराया गया।

दिल्ली की कोर्ट दे चुकी है सात साल की सजा

फरवरी 2019 में कोर्ट में पेश एक मामले में दिल्ली की एक अदालत ने 38 वर्षीय एक व्यक्ति को 2013 में हुए एक अमेरिकी नागरिक के डिजिटल बलात्कार के लिए सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही दोषी पर कोर्ट ने 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

 

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