हमेशा हेल्दी चॉइस नहीं होता
जूस
फलों का जूस हम सब ने पिया है, लेकिन क्या हमने यह सोचा कि यह हमारे शरीर के लिए कितना फायदेमंद होता है। वैसे इसका जवाब हां और न दोनों में मिल सकता है। फलों के रस में पोषक तत्व होते हैं इनमें विटमिन्स व मिनरल शामिल हैं। यह हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। वहीं दूसरी ओर फलों के रस में हाई शुगर व कैलोरीज भी होती है, जो कहीं न कहीं हमारे वजन के बढऩे का कारण भी बनती है। डॉक्टरों का भी मानना है कि सिर्फ जूस पीने से अच्छा है कि फल का सेवन किया जाए।
जूस में होती है ज्यादा कैलोरी
ज्यादातर लोगों को मानना है कि फलों का रस एक अच्छी चॉइस है। क्योंकि यह फलों से बना होता, जो कि एक हेल्दी ऑप्शन है। न्यूट्रीशन व वेट लॉस कंसल्टेंट डॉ. सिमरन सैनी के मुताबिक अगर आप घर में फल का रस निकालते हैं तो एक गिलास जूस के लिए आपको कई सेब या संतरों की जरूरत होगी, जबकि सामान्यतौर पर आप 4 से 5 फल एक साथ नहीं खा सकते, लेकिन इनका रस आप पी सकते हैं। कई अन्य चीजों के मुकाबले जूस में कैलोरी ज्यादा होती है। साथ ही इसमें जूस फॉर्म में हाई शुगर भी होती है। एक ग्लास जूस में आमतौर पर 4 या 5 टुकड़े फलों के बराबर शुगर होती है और कुछ जूस में कोल्ड ड्रिंक से ज्यादा शुगर हो सकती है। ऐसे में जूस में शुगर व कैलोरी की ज्यादा मात्रा होने के चलते इसके रोजाना सेवन से यह आपका वेट बढऩे का कारण हो सकता है।
घर पर निकला जूस है अच्छा
शुगर को छोड़ दें तो जूस में फलों के अन्य पोषक तत्व, जिनसे वह बना
होता है वह नहीं होते हैं। डॉ. सिमरन का कहना है कि किसी भी फल के रस में उसका
छिलका, गूदा नहीं होता।
यह अक्सर जूस निकालते वक्त फेंक दिए जाते हैं, जबकि इनमें फाइबर समेत अन्य पोषक तत्व होते है। इसके
अलावा फलों के रस में ज्यादा मिठास होने के कारण यह दांतों को डेमेज करता है।
खासतौर से बच्चों के। इसलिए हो सके तो हेल्दी जूस के लिए इसे घर पर ही बनाए, जिसमें उसका गूदा
(पल्प) जरूर हो। वैसे तो शुगर व कैलोरी के नजरिए से फल के रस की कोल्ड ड्रिंक्स से
तुलना कर सकते हैं, लेकिन न्यूट्रीशन के मामले में यह उससे आगे है। फल और
सब्जियों से निकाल हुआ रस अपने अंदर 100 फीसदी विटमिन व पोषक तत्वों से भरा होता है, जो कि फल व
सब्जियों में होते हैं। इसका मतलब फलों के रस का हम ज्यादा सेवन कर सकते हैं।
दरअसल घर में बने हुए फल और सब्जियों के रस में शुगर व कैलोरीज कम होती है।
हमें कितना जूस पीना चाहिए
एक कप फल का रस लगभग एक फल के बराबर होता है। इसलिए
रोजाना एक कप जूस आपके लिए एक बेहतर ऑप्शन होगा। अगर आप अपने वेट पर नजर रखते है
और आपको कम फल खाने को कहा गया है तो आप एक हफ्ते में 2 या 3 ग्लास जूस पी सकते हैं। यह आपके कैलोरी की जरूरत, फिजिकल एक्टिविटी
व समान्य डाइट पर भी निर्भर करता है। अगर आप वेट के बारे में सोच रहे हैं तो अपने
जूस को डाइलूट कर कम कैलोरी वाला बना सकते है, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि डाल्यूट करने से जूस में
न्यूट्रीशन कम हो जाएगा।
कैसे करें फ्रूट जूस का चयन
जब भी आप कोई फ्रूट जूस लेते हैं। इससे पहले यह तय कर
लें कि उस जूस में ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व हों। 100 फीसदी फल का रस एक अच्छी पसंद होता है और इसमें अलग से शुगर नहीं होना एक
अच्छा बात है। हालांकि उसमें कम से कम उतनी शुगर होती है, जितनी कि फल के
रस में होती है। वहीं अगर हम बच्चों को जूस देने की बात करें तो उन्हें संतरे व
अनार का जूस देना फायदेमंद साबित होगा। बच्चों की बढ़ती उम्र में इन फलों का रस
काफी अच्छा होता है। हालांकि बच्चों में जूस के अलावा फल खाने की आदत का बढ़ावा
देना चाहिए। वहीं बुजुर्गों के लिए केनबेरी (करौंदा), गाजर का जूस
अच्छा रहेगा। यह उनके हाजमे व आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद साबित होगा।
वैरायटी होना है बेहद जरूरी
जब भी हम फलों का जूस लें तो उसमें वैरायटी जरूर होनी
चाहिए। इसका मतलब हमें एक ही फल पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। बदल-बदल कर उसे अपनी
डाइट में शामिल करना चाहिए। जैसे कि कभी संतरे का तो कभी अनार का रस लेना चाहिए।
अपनी जरूरत के हिसाब से उसकी मात्रा लेनी चाहिए। साथ ही अगर फलों का रस दिन के
फस्र्ट हाफ यानी सुबह से दोपहर तक में लें तो ज्यादा बेहतर होगा। क्योंकि इसी
दौरान हमें ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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