चित्रकूट : एक निर्मल यात्रा

मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट (Chitrakoor) भारत के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चित्रकूट धाम जिले से लगा हुआ है। चित्रकूट चारों ओर से विंघ्य पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। इसके साथ ही मंदाकनी नदी के किनारे कई घाटों में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के 14 वर्षों में से 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। धार्मिक मान्यताओं के साथ ही यह पर्यटन स्थल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है।


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Ram Ghat. Credit : District Administration Chitrkoot

रामघाट : मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं। घाट में गेरूआ वस्त्र धारण किए साधु-सन्तों को भजन और कीर्तन करते देख बहुत अच्छा महसूस होता है। शाम को होने वाली यहां की आरती मन को काफी सुकून पहुंचाती है।


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Kamadgiri. Credit : District Administration Chitrkoot


कामदगिरी : इस पवित्र पर्वत का काफी धार्मिक महत्व है। श्रद्धालु कामदगिरी पर्वत की 5 किमी. की परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत के तल पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। चित्रकूट के लोकप्रिय कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर भी यहीं स्थित है।



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Sati Anusuiya Ashram. Credit : District Administration Chitrkoot

अनसुइया अत्री आश्रम : स्फटिक शिला से लगभग 4 किमी. की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्री मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेयय और दुर्वाशा मुनी की प्रतिमा स्थापित हैं।




जानकीकुंड : रामघाट से 2 किमी. की दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार जानकी कुण्ड स्थित है। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था। माना जाता है कि जानकी यहां स्नान करती थीं। जानकी कुंड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है।


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Sfatic Shila. Credit : District Administration Chitrkoot

स्फटिक शिला : जानकी कुण्ड से कुछ दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनार ही यह शिला स्थित है। माना जाता है कि इस शिला पर सीता के पैरों के निशान मुद्रित हैं। कहा जाता है कि जब वह इस शिला पर खड़ी थीं तो जयंत ने काक रूप धारण कर उन्हें चोंच मारी थी। इस शिला पर राम और सीता बैठकर चित्रकूट की सुंदरता निहारते थे।

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Hanuman Dhara. Credit : District Administration Chitrkoot

हनुमान धारा :
पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। कहा जाता है कि यह धारा श्रीराम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी। पहाड़ी के शिखर पर ही सीता रसोई है। यहां से चित्रकूट का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है।


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Gupt Godavri. Credit : District Administration Chitrkoot


गुप्त गोदावरी : नगर से 18 किमी. की दूरी पर गुप्त गोदावरी स्थित हैं। यहां दो गुफाएं हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊंची है। प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता। गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा लंबी और संकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था।

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Bharatkoop. Credit : District Administration Chitrkoot

भरतकूप : कहा जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहां रखा था। अत्री मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था। इसी कूप को भरत कूप के नाम से जाना जाता है। भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है।



 
कैसे पहुंचे

वायु मार्ग : चित्रकूट का नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो है। खजुराहो  से चित्रकूट 185 किमी. दूर है। लखनऊ और इलाहाबाद हवाई अड्डों से भी चित्रकूट पहुंचा जा सकता है। इलाहाबाद और लखनऊ से बस और ट्रेनें लगातार उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग : चित्रकूट से 8 किमी. की दूरी कर्वी निकटतम रेलवे स्टेशन है। इलाहाबाद, जबलपुर, दिल्ली, झांसी, हावड़ा, आगरा, मथुरा, लखनऊ, कानपुर, ग्वालियर, झांसी, रायपुर, कटनी, मुगलसराय, वाराणसी आदि शहरों से यहां के लिए रेलगाडिय़ां चलती हैं। इसके अलावा शिवरामपुर रेलवे स्टेशन पर उतकर भी बसें और टूवीलर लिए जा सकते हैं। शिवरामपुर रेलवे स्टेशन की चित्रकूट से दूरी 4 किलोमीटर है।

सड़क मार्ग : चित्रकूट के लिए इलाहाबाद, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर, सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए बस सेवा उपलब्ध है। शिवरामपुर से भी बसें और टू व्हीलर उपलब्ध हैं यहां से चित्रकूट की दूरी 4 किलोमीटर है।

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