Kolkata Tram (1873-2024) : 150 साल का सफर अब यादों के पन्नों पर

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Kolkata की ट्रामें, जो 151 वर्षों से इस शहर की धड़कन और पहचान का हिस्सा थीं, अब धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों में दर्ज हो रही हैं। इन ट्रामों की धीमी चलती लय में जैसे शहर के जीवन की कहानियां बसती थीं—पुराने जमाने का वह अद्भुत अहसास, जहां सफर का मतलब सिर्फ गंतव्य तक पहुंचना नहीं, बल्कि रास्ते का हर पल जीना होता था। ट्रामों की खड़खड़ाहट के साथ सड़कों पर उतरी यादें अब मौन हो जाएंगी, और कोलकाता की संकरी गलियां, जो कभी इनके लिए राह बनाती थीं, अब उन ध्वनियों को हमेशा के लिए खो देंगी।

कभी घोड़े खींचते थे ट्राम को...

कोलकाता की ट्राम सेवा की शुरुआत 24 फरवरी 1873 को हुई, जब घोड़ों द्वारा खींची जाने वाली ट्राम ने सियालदह से आर्मेनियन घाट तक अपनी पहली यात्रा की। तीन साल बाद, 1880 में Calcutta Tramways Company का गठन हुआ, और 1882 में भाप से चलने वाली ट्रामें आईं। 27 मार्च 1902 को एशिया की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम सेवा कोलकाता में एस्प्लानेड से किडरपोर तक शुरू हुई। तब तक, शहर के चारों ओर मीटर-गेज के ट्रैक बिछाए गए थे, और यह सेवा औपनिवेशिक भारत की प्रमुख परिवहन व्यवस्थाओं में से एक बन गई थी।

शहर बढ़ता गया, ट्राम छूटती गई

ट्राम ने 20वीं शताब्दी में कई परिवर्तनों का सामना किया। 1970 के दशक तक ट्राम का विस्तार 37 मार्गों पर हो चुका था और कोलकाता के जीवन में इनका गहरा संबंध था। धीरे-धीरे, जैसे-जैसे शहर में बस, कार और अन्य निजी वाहन बढ़ते गए, ट्रामों का महत्व कम होने लगा। संकरे रास्तों और ट्रैफिक की समस्याओं के कारण ट्राम का संचालन कठिन होता गया, लेकिन इसके बावजूद, यह अब भी शहर के रोमांटिक और ऐतिहासिक आकर्षण का हिस्सा रही।

कल्चर और फिल्मों में ट्राम...

कोलकाता की ट्रामें सिर्फ एक परिवहन का साधन नहीं रहीं, बल्कि शहर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बनी रहीं। सत्यजीत रे जैसे प्रसिद्ध फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में कोलकाता की ट्रामों को एक प्रतीक के रूप में दर्शाया। "महानगर" और "अपूर संसार" जैसी फिल्मों में ट्राम को कोलकाता के जीवन, संघर्ष और सपनों का प्रतिबिंब दिखाया गया है। इन फिल्मों में, ट्रामों के चलते हुए दृश्य शहर के दैनिक जीवन और आधुनिकता के बीच के तनाव को दर्शाते हैं। इसी प्रकार, श्रीय गुगल जैसे संगीतकारों के गीतों में भी ट्रामों की ध्वनियों और छवियों का संदर्भ मिलता है, जो इस साधन की रोमांटिक अपील को दिखाते हैं। वहीं बॉलिवुड की कई फिल्मों का भी हिस्सा रही है ट्राम, इनमें बर्फी, कहानी, पीकू, ब्योमकेश बख्शी शामिल रही हैं।

लोगों के दिलों में ट्राम... और उसकी यादें

ट्रामों की इस सेवा के बंद होने की खबर से शहर के लोग, खासकर पुराने समय के निवासी, भावुक हो गए हैं। बॉलीवुड और टॉलीवुड के सेलेब्रिटी भी इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अभिनेता और निर्देशक अपर्णा सेन ने कहा कि ट्राम कोलकाता की आत्मा का हिस्सा थीं और इसका बंद होना एक युग के अंत जैसा है। प्रसिद्ध लेखक विक्रम सेठ ने भी ट्रामों की पुरानी यादों को ताजा किया। वे बताते हैं कि ट्रामों में यात्रा करना मानो समय के साथ पीछे लौटना था, जहाँ सब कुछ धीमा और शांत लगता था।  कोलकाता के लोग ट्राम के बंद होने को भावनात्मक दृष्टि से एक बड़ा नुकसान मानते हैं। शहर के बुजुर्ग और पारंपरिक निवासी इसे कोलकाता की धरोहर मानते थे। कई लोगों ने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर अपनी निराशा व्यक्त की, खासकर इसलिए क्योंकि ट्राम एक पर्यावरण अनुकूल परिवहन प्रणाली थी और इसका सांस्कृतिक महत्व भी था। साथ ही सोशल मीडिया पर भी लोगों ने ट्राम से जुड़ी अपनी यादों को शेयर किया।


क्यों लिया गया ट्राम बंद करने का फैसला

सितंबर 2024 में पश्चिम बंगाल सरकार ने घोषणा की कि कोलकाता की ट्राम सेवा को आधिकारिक रूप से बंद कर दिया जाएगा, सिवाय एक छोटे हेरिटेज मार्ग के, जो मैदान से एस्प्लानेड तक चलेगा। परिवहन मंत्री स्नेहासिस चक्रवर्ती ने ट्राम को धीमा, ट्रैफिक बाधक और अप्रचलित मानते हुए इस सेवा को समाप्त करने की योजना की घोषणा की। हालांकि, पर्यावरणविद् और शहर के नागरिक इस निर्णय से निराश हैं क्योंकि ट्रामें एक पर्यावरण अनुकूल साधन थीं, और इनके खत्म होने से कोलकाता की पहचान और पुरानी धरोहर का एक बड़ा हिस्सा समाप्त हो जाएगा। इस समय जब दुनिया इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रही है, ट्राम का बंद होना पर्यावरण दृष्टिकोण से आलोचना का विषय बना है।

सिस्टम को आधुनिक बनाने की नहीं हुई कोशिश

राजस्व और लागत के मामले में, आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार हाल के वर्षों में ट्राम सेवाएं वित्तीय रूप से अस्थिर हो गई थीं। हालांकि राजस्व और रखरखाव की सटीक जानकारी मिलना मुश्किल है, लेकिन यह स्पष्ट है कि पुराने ट्राम ढांचे का रखरखाव राज्य के लिए बोझ बन गया था। कई ट्राम कारें और डिपो जीर्ण-शीर्ण हो गए थे, और सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए पर्याप्त निवेश नहीं किया गया था। 

एक हेरिटेज रूट रहेगा सर्विस में 

सरकार ने एस्प्लानेड से मैदान के बीच एक विरासती ट्राम मार्ग को चालू रखने की योजना बनाई है, ताकि शहर अपनी सांस्कृतिक धरोहर का कुछ हिस्सा सुरक्षित रख सके। हालांकि, कई लोग महसूस करते हैं कि यह प्रयास ट्राम की ऐतिहासिक महत्ता को पूरी तरह से सम्मानित नहीं करता।

ट्राम की पटरियों का भविष्य

जहाँ तक ट्राम ट्रैक का सवाल है, ट्रामों के बंद होने के बाद यह सवाल बना हुआ है कि क्या इन्हें सड़कों से हटा दिया जाएगा या नहीं। सरकार द्वारा हेरिटेज रूट की योजना बनाई गई है, जिसमें मैदान से एस्प्लानेड तक ट्राम चलेगी, इसलिए कुछ ट्रैक बचाए रखे जा सकते हैं। बाकी शहर के हिस्सों से पटरियों को हटाए जाने की संभावना है, ताकि सड़क पर यातायात सुगम हो सके। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या पूरी तरह से पटरियों को उखाड़ा जाएगा या नहीं।

ट्राम का किराया और उसमें बढ़ोतरी

जब कोलकाता में ट्राम सेवा शुरू हुई, तब किराया बहुत मामूली था। शुरुआती दिनों में किराया 1-2 आना था (1950-60 के दशक में)। समय के साथ किराया धीरे-धीरे बढ़ता गया, लेकिन ट्राम हमेशा एक किफायती साधन रही। 2024 में, ट्राम का न्यूनतम किराया लगभग ₹6-10 था, जो इसे सबसे सस्ता सार्वजनिक परिवहन बनाता था।

ट्राम के प्रमुख रूट

ट्राम सेवा के प्रमुख रूटों में एस्प्लानेड, किडरपोर, मैदान, गरिया हाट, श्यामबाजार, सियालदह, और हावड़ा जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल थे। इन रूटों से ट्राम पूरे शहर में फैली थी।

दुनिया के देशों में ट्राम

ऑस्ट्रेलिया: मेलबर्न में ट्राम नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा और सफलतम ट्राम नेटवर्क है। मेलबर्न की ट्राम प्रणाली सार्वजनिक परिवहन का एक मुख्य हिस्सा है, और शहर की सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है।

जर्मनी: जर्मनी के कई शहरों, जैसे बर्लिन, म्यूनिख, और फ्रैंकफर्ट, में ट्रामें सफलतापूर्वक संचालित होती हैं। ट्राम वहां के नागरिकों के लिए एक प्रमुख सार्वजनिक परिवहन माध्यम है और यह नेटवर्क आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित है।

फ्रांस: पेरिस, ल्यों, और बोर्डो जैसे फ्रांसीसी शहरों में ट्रामों का व्यापक उपयोग होता है। फ्रांस में पिछले कुछ वर्षों में ट्राम नेटवर्क का विस्तार किया गया है, खासकर शहरी यातायात को सुगम बनाने के लिए।

नीदरलैंड्स: एम्स्टर्डम और रॉटरडैम में ट्राम सेवाएं अभी भी सक्रिय हैं और प्रमुख सार्वजनिक परिवहन साधनों में से एक हैं। नीदरलैंड्स में ट्राम सिस्टम पर्यावरण अनुकूल है और यहां की सरकार इसे और अधिक विकसित कर रही है।

स्विट्ज़रलैंड: ज्यूरिख और बेसल जैसे शहरों में ट्राम सेवा बेहद सफल है। स्विट्ज़रलैंड में ट्राम यातायात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और अपनी समय पर चलने वाली सेवाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।

चेक गणराज्य: प्राग में ट्राम प्रणाली एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक परिवहन साधन है। यह शहर के प्रमुख हिस्सों को आपस में जोड़ती है और इसे बेहद कारगर माना जाता है।

ये शहर न केवल ट्राम सेवाओं को जारी रखे हुए हैं, बल्कि इसे और बेहतर और आधुनिक बनाने के प्रयासों में भी लगे हुए हैं। ट्रामें इन देशों में पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन मानी जाती हैं, और शहरों में भीड़-भाड़ को कम करने में भी मदद करती हैं।

    कोलकाता की ट्रामें सिर्फ शहर की सड़कों पर चलने वाला एक साधारण परिवहन साधन नहीं थीं, बल्कि वे इस शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक थीं। 151 सालों तक यह सेवा कोलकाता की पहचान का हिस्सा रही, लेकिन अब यह सिर्फ यादों में रह जाएगी।

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