हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है, जो वैश्विक स्तर पर मधुमेह के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। मधुमेह (डायबिटीज) एक गंभीर, दीर्घकालिक बीमारी है, जो व्यक्ति की जीवनशैली, खानपान और अन्य कारकों पर आधारित होती है।
डायबिटीज क्या है?
मधुमेह एक मेटाबोलिक रोग है, जिसमें शरीर में इंसुलिन का निर्माण कम हो जाता है या शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है। इंसुलिन की कमी के कारण रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
डायबिटीज कब होती है?
डायबिटीज का खतरा तब बढ़ता है जब व्यक्ति की जीवनशैली में असंतुलन होता है, जैसे कि अस्वास्थ्यकर खानपान, शारीरिक गतिविधि की कमी, अधिक वजन और मोटापा, अत्यधिक तनाव, धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन। पारिवारिक इतिहास, उम्र और जातीयता भी डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाते हैं।
डायबिटीज के प्रकार और स्टेजेस
डायबिटीज मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
टाइप 1 डायबिटीज: यह ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र अपने ही अग्न्याशय की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इसका इलाज जीवनभर इंसुलिन लेने पर आधारित होता है।
टाइप 2 डायबिटीज: यह अधिक सामान्य प्रकार है और मुख्य रूप से अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और आनुवंशिक कारणों से होती है। इसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या इसका प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता।डायबिटीज को कई स्टेज में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- प्रीडायबिटीज: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति का रक्त शर्करा स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन अभी डायबिटीज के स्तर पर नहीं पहुंचा है। इस अवस्था में जीवनशैली में परिवर्तन से डायबिटीज को रोका जा सकता है।
- शुरुआती स्टेज (प्रारंभिक डायबिटीज): इस स्तर पर उपचार के जरिए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना आसान होता है। जीवनशैली में सुधार और स्वस्थ आहार से लाभ मिल सकता है।
- उन्नत स्टेज (मॉडरेट डायबिटीज): इस स्तर पर दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। यदि स्थिति को गंभीरता से न लिया जाए, तो जोखिम बढ़ता है।
- गंभीर स्टेज (एडवांस डायबिटीज): इस स्थिति में इंसुलिन का उपयोग जरूरी हो सकता है। इसके साथ ही हृदय रोग, किडनी की समस्या, और दृष्टि संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।
बीते 20 सालों में डायबिटीज का परिदृश्य
20 साल पहले, डायबिटीज आमतौर पर 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में पाई जाती थी। लेकिन मौजूदा स्थिति काफी बदल गई है। आजकल डायबिटीज का खतरा कम उम्र में भी देखने को मिल रहा है, और कई लोग 30 वर्ष की आयु से पहले ही इसका शिकार हो रहे हैं। बढ़ते शहरीकरण, ऑफिस में लंबे समय तक बैठे रहना, अनियमित आहार, और शारीरिक गतिविधि की कमी इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। यही वजह है कि आज की युवा पीढ़ी भी इस बीमारी की चपेट में तेजी से आ रही है।
भारत में डायबिटीज का संकट: विश्व की डायबिटीज राजधानी
भारत को दुनिया की "डायबिटीज राजधानी" माना जाता है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। अनुमान है कि 2045 तक यह संख्या और बढ़कर लगभग 13 करोड़ तक पहुंच सकती है। भारत में बच्चों और युवाओं में भी डायबिटीज का बढ़ता हुआ प्रचलन चिंता का विषय है।
WHO और वैश्विक आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वर्तमान में दुनिया में लगभग 46.3 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है और अगले कुछ दशकों में इसमें और इजाफा होने की संभावना है। डायबिटीज के टॉप 10 देशों में चीन, भारत, अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको, इंडोनेशिया, रूस, मिस्र, जर्मनी, और पाकिस्तान शामिल हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, 2045 तक लगभग 783 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित हो सकते हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके समाधान के लिए स्वास्थ्यप्रद आहार, शारीरिक गतिविधि और शुरुआती निदान पर जोर दे रहे हैं।
अमेरिका: अमेरिका में लगभग 11.3% वयस्कों को डायबिटीज है। बढ़ती उम्र और मोटापे के कारण डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक लागतों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह अब देश के प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है।
नीदरलैंड्स: यहां लगभग 4.5% वयस्कों को डायबिटीज है। नीदरलैंड्स ने शुरुआती हस्तक्षेप और रोकथाम के माध्यम से प्रभावी स्वास्थ्य नीतियां लागू की हैं, जिससे यहां की दर अन्य विकसित देशों की तुलना में कम है।रूस: रूस में डायबिटीज का प्रसार लगभग 5.6% है। शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव इस वृद्धि का मुख्य कारण हैं। रूस की सरकार स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ाने पर जोर दे रही है, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लागू करना एक चुनौती बना हुआ है।
फ्रांस: फ्रांस में लगभग 5.3% वयस्क डायबिटीज से ग्रस्त हैं। सरकार ने जीवनशैली में सुधार और शुरुआती निदान को प्राथमिकता दी है, जिससे डायबिटीज की दर स्थिर बनी हुई है।
जर्मनी: जर्मनी में डायबिटीज का प्रसार लगभग 6.9% है। यहां मोटापा और उम्र बढ़ने से डायबिटीज की दर में वृद्धि हो रही है। सरकार ने रिसर्च और उपचार की उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित किया है।
ऑस्ट्रेलिया: लगभग 6.4% ऑस्ट्रेलियाई डायबिटीज से पीड़ित हैं, जिनमें अधिकांश टाइप 2 डायबिटीज के मामले हैं। बढ़ते मोटापे के कारण भविष्य में इसके बढ़ने की संभावना है, हालांकि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली रोग प्रबंधन के लिए मजबूत समर्थन प्रदान करती है।
सिंगापुर: एशिया में सिंगापुर की डायबिटीज दर सबसे अधिक है, जहां लगभग 11.6% वयस्क प्रभावित हैं। यहां की सरकार ने स्वास्थ्य जागरूकता और जीवनशैली में बदलाव के लिए कई अभियान चलाए हैं, विशेष रूप से वृद्ध होती जनसंख्या के कारण।
यूनाइटेड किंगडम: यूके में लगभग 7% आबादी डायबिटीज से ग्रस्त है। यहां की सरकार ने डायबिटीज रोकथाम और शुरुआती हस्तक्षेप को प्राथमिकता दी है, ताकि जागरूकता और उपचार की पहुंच बढ़ाई जा सके।
हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय
वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज की रोकथाम और प्रबंधन में स्वस्थ जीवनशैली का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने यह भी कहा है कि समय पर निदान, उचित उपचार और नियमित शारीरिक गतिविधि से डायबिटीज को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
डायबिटीज से बचने और इसे नियंत्रित करने के उपाय
डायबिटीज में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि दीर्घकालिक जटिलताओं को रोका जा सके। इसके लिए विशेषज्ञ निम्नलिखित उपाय सुझाते हैं:
बल्ड शुगर की नियमित निगरानी: अपने ब्लड शुगर का नियमित परीक्षण करें और इसे नियंत्रित स्तर पर रखने का प्रयास करें। HbA1c टेस्ट के माध्यम से औसत ब्लड शुगर लेवल की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसे 7% से कम रखने का लक्ष्य रखना चाहिए।
हेल्दी फूड : उच्च फाइबर युक्त आहार, जैसे कि सब्जियां, साबुत अनाज और फल, रक्त शर्करा को स्थिर रखने में सहायक होते हैं। उच्च वसा, नमक, और शर्करा वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, क्योंकि ये ब्लड शुगर में तेजी से वृद्धि कर सकते हैं।फिजिकल एक्टिविटी: रोजाना 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज चलना या हल्का व्यायाम, ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार है। व्यायाम से इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है, जो शर्करा को ऊर्जा में परिवर्तित करने में सहायक है।
स्ट्रेस मैनेजमेंट: तनाव से रक्त शर्करा बढ़ सकता है। इसके लिए योग, ध्यान, और गहरी सांस लेना लाभकारी होते हैं। तनाव प्रबंधन के लिए समय निकालना जरूरी है, क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर प्रभाव डालता है।
दवाओं और इन्सुलिन का सही प्रयोग: डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयां और इन्सुलिन का सही मात्रा में और सही समय पर सेवन करें। इससे रक्त शर्करा नियंत्रण में रहता है और अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव से बचा जा सकता है।
जटिलताओं का समय पर परीक्षण: नियमित तौर पर आंखों, किडनी और पैरों की जांच कराते रहें, क्योंकि डायबिटीज इन अंगों को प्रभावित कर सकती है। समय रहते किसी भी समस्या का निदान करने से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्वस्थ जीवनशैली, उचित खानपान, और नियमित चिकित्सा जांच से डायबिटीज की जटिलताओं को काफी हद तक रोका जा सकता है और जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है।
निष्कर्ष
मधुमेह की बढ़ती दर पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि लोग अपनी जीवनशैली को सुधारें और स्वस्थ आदतें अपनाएं। समय पर निदान और उचित उपचार से डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं को रोका जा सकता है। विश्व मधुमेह दिवस पर हम सभी को इस बीमारी के प्रति जागरूक होना चाहिए और इसके प्रबंधन और रोकथाम के लिए कदम उठाने चाहिए।