ऊपर दिख रही तस्वीर राजधानी दिल्ली के ITO चौराहे की है। इसे देख कर आप अंदाजा लगा सकते हैं यहां प्रदूषण के क्या हालत हैं। दिल्ली और NCR में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण Graded Response Action Plan (GRAP) का स्टेज 4 लागू किया गया है। यह योजना वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के गंभीर श्रेणी में पहुंचने पर सक्रिय होती है। दिल्ली में AQI पिछले कुछ दिनों से 400-450 के बीच बना हुआ है, जो "गंभीर" श्रेणी को दर्शाता है।
GRAP 4 लागू होने पर पाबंदियां
- सभी प्रकार के निर्माण प्रोजेक्ट और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर पूरी तरह रोक।
- गैर-जरूरी वाणिज्यिक गतिविधियों को सीमित करना।
- स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं तक की पढ़ाई बंद करने की सिफारिश या फिर ऑनलाइन क्लासेज।
- BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर प्रतिबंध।
- केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को अनुमति।
- सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में बढ़ोतरी, जैसे दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बसों की अतिरिक्त सेवाएं
सर्दियों में प्रदूषण क्यों बढ़ता है?
- ठंडी और स्थिर हवाएं: सर्दियों में हवाएं धीमी चलती हैं, जिससे प्रदूषक तत्व वातावरण में ही बने रहते हैं।
- स्टबल बर्निंग (पराली जलाना): आसपास के राज्यों में फसलों के अवशेष जलाने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलता है।
- वातावरणीय इन्वर्जन: सर्दियों में ऊपरी हवा ठंडी होती है, जो प्रदूषक तत्वों को निचले स्तर पर फंसा देती है।
- घरेलू जलावन और वाहनों का बढ़ा उपयोग: सर्द मौसम में हीटर और जलावन का उपयोग बढ़ता है, जिससे PM 2.5 और PM 10 कण हवा में घुल जाते हैं
पिछले 10 दिनों में दिल्ली-NCR का AQI
तारीख | AQI | |
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6 नवंबर | 390 | |
7 नवंबर | 402 | |
8 नवंबर | 410 | |
9 नवंबर | 415 | |
10 नवंबर | 423 | |
11 नवंबर | 430 | |
12 नवंबर | 440 | |
13 नवंबर | 450 | |
14 नवंबर | 428 | |
15 नवंबर | 425 |
भारत के पड़ोसी देशों में प्रदूषण की स्थिति:
1. पाकिस्तान
पाकिस्तान में वायु प्रदूषण गंभीर चुनौती बना हुआ है। लाहौर और कराची जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अक्सर 150-200+ के बीच रहता है, जो "बहुत अस्वास्थ्यकर" श्रेणी में आता है। यहां प्रदूषण के प्रमुख कारण वाहन उत्सर्जन, ईंट भट्टों और औद्योगिक कचरे से उत्पन्न धुआं हैं। खासकर ठंड के मौसम में धुंध और वायु की ठहराव की स्थिति प्रदूषण को बढ़ा देती है। लाहौर में AQI 350-400 के बीच है।
2. बांग्लादेश
ढाका विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, जहां AQI औसतन 200-300 तक पहुंच चुका है। यहां प्रमुख समस्याएं ईंट भट्टे, निर्माण कार्य, और खुले में कचरा जलाना हैं। ठंड के दौरान प्रदूषण स्तर और बढ़ जाता है क्योंकि वायु में घुली हानिकारक गैसें धरती के निकट रुक जाती हैं
3. श्रीलंका
श्रीलंका में स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है। कोलंबो का AQI आमतौर पर 100 के आसपास रहता है, जो "संतोषजनक" श्रेणी में आता है। यहां प्रदूषण के मुख्य स्रोत पुराने वाहन, औद्योगिक उत्सर्जन, और कृषि कचरे का जलाना हैं। हालांकि, मानसून से पहले प्रदूषण के स्तर में थोड़ी वृद्धि हो सकती है
4. नेपाल
काठमांडू में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होती जा रही है, और AQI 150-200 के बीच बना रहता है। प्रदूषण के कारणों में वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्य, और ठंड के दौरान लकड़ी जलाना शामिल हैं। वायुमंडलीय ठहराव के कारण यह समस्या सर्दियों में और भी गंभीर हो जाती है।
अमेरिका और यूरोप में स्थिति
अमेरिका में वायु प्रदूषण नियंत्रण:
- क्लीन एयर एक्ट (Clean Air Act): 1963 में पारित यह कानून देशभर में वायु गुणवत्ता को बनाए रखने का आधार है। यह कानून प्रदूषकों के उत्सर्जन पर सख्त सीमा तय करता है और बड़े उद्योगों तथा वाहनों पर कड़े मानक लागू करता है।
- EPA (Environmental Protection Agency): यह एजेंसी ग्रीनहाउस गैसों और अन्य प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। इसमें पावर प्लांट्स और वाहन उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन प्रदूषण मानक लागू करना शामिल है।
- नवीकरणीय ऊर्जा: अमेरिका ने अक्षय ऊर्जा जैसे सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देकर कोयला और तेल पर निर्भरता कम की है, जिससे प्रदूषण में कमी आई है
यूरोप में वायु प्रदूषण नियंत्रण:
- यूरोपीय संघ के वायु गुणवत्ता निर्देश (Ambient Air Quality Directives): ये निर्देश 2008 में लागू किए गए थे और 2030 तक PM2.5 के वार्षिक स्तर को 25 µg/m³ से घटाकर 10 µg/m³ करने का लक्ष्य रखते हैं। यह WHO की सिफारिशों के अनुरूप है।
- राष्ट्रीय उत्सर्जन सीमा (National Emissions Ceilings Directive): यह सदस्य देशों पर विभिन्न प्रदूषकों के लिए उत्सर्जन सीमा निर्धारित करता है।
- स्थानीय योजना: यूरोपीय संघ स्थानीय स्तर पर वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए निगरानी, कड़े जुर्माने, और पारदर्शिता को प्राथमिकता देता है
इनके प्रभाव:
- इन नीतियों के कारण यूरोप में 1990 के मुकाबले वायु प्रदूषण से समयपूर्व मौतों में 70% की कमी आई है।
- अमेरिका और यूरोप में प्रदूषण का स्तर अन्य विकासशील देशों की तुलना में नियंत्रित है, लेकिन शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण इन देशों को भी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है
समाधान और WHO की गाइडलाइंस
- स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ाएं।
- सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दें।
- वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत बनाएं।
- उद्योगों और वाहनों के उत्सर्जन मानकों को सख्त करें।
दिल्ली और NCR में प्रदूषण की यह स्थिति चिंताजनक है। यह सरकार और नागरिकों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि वह प्रदूषण नियंत्रण में सक्रिय भूमिका निभाएं।