CIBIL Score : शादी से लेकर लोन तक क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?

हाल ही में महाराष्ट्र में एक अनोखा मामला सामने आया, जिसमें लड़की वालों ने दूल्हे की सिबिल स्कोर (CIBIL Score) जांचने के बाद शादी से इनकार कर दिया। यह घटना बताती है कि वित्तीय स्थिति और क्रेडिट स्कोर अब सिर्फ बैंकों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि रिश्तों और सामाजिक स्वीकृति में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। चाहे नौकरी हो, लोन हो या शादी—हर जगह आपकी वित्तीय साख देखी जा रही है। इसलिए, अपने सिबिल स्कोर को बेहतर बनाए रखने के लिए जागरूक रहें और सही वित्तीय आदतें अपनाएं।

सिबिल स्कोर क्या होता है?

सिबिल स्कोर एक तीन अंकों की रेटिंग होती है, जो 300 से 900 के बीच होती है। इसे ट्रांसयूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) नामक संस्था तैयार करती है। यह स्कोर किसी व्यक्ति की वित्तीय साख (Creditworthiness) को दर्शाता है और यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति अपने कर्ज को समय पर चुका सकता है या नहीं।

अच्छे सिबिल स्कोर की जरूरत कब-कब पड़ती है?

  1. लोन लेने के लिए: होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन आदि के लिए बैंक और NBFC (Non-Banking Financial Companies) अच्छे सिबिल स्कोर की मांग करते हैं।
  2. क्रेडिट कार्ड के लिए: क्रेडिट कार्ड कंपनियां उच्च सिबिल स्कोर वाले लोगों को बेहतर ऑफर्स और कम ब्याज दर पर कार्ड देती हैं।
  3. नौकरी के लिए: कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों की फाइनेंशियल हेल्थ देखने के लिए उनका सिबिल स्कोर चेक करती हैं।
  4. रिश्ते और शादी में: जैसा कि हाल ही में हुआ, अब परिवार भी वर-वधू के वित्तीय व्यवहार को समझने के लिए सिबिल स्कोर देखने लगे हैं।
  5. किराए पर घर लेने के लिए: कुछ मकान मालिक किरायेदार की वित्तीय विश्वसनीयता जांचने के लिए भी सिबिल स्कोर मांग सकते हैं।

अच्छा सिबिल स्कोर कैसे बनाएं?

 क्रेडिट कार्ड का सही उपयोग करें – अपने क्रेडिट कार्ड की सीमा का 30% से अधिक उपयोग न करें और समय पर बिल चुकाएं।

 लोन की EMI समय पर चुकाएं – अगर आप किसी भी प्रकार का लोन ले रहे हैं, तो उसकी EMI कभी भी न चूकें।

 क्रेडिट मिक्स बनाए रखें – अलग-अलग प्रकार के लोन (सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड) लेने से क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है।

 अपनी क्रेडिट रिपोर्ट नियमित रूप से चेक करें – साल में कम से कम दो बार अपनी सिबिल रिपोर्ट जांचें, ताकि किसी गलती को सही करवाया जा सके।

क्या न करें:

बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन न करें – हर बार जब आप लोन या कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं, तो आपका स्कोर प्रभावित होता है।
क्रेडिट कार्ड का न्यूनतम भुगतान न करें – हमेशा पूरा बकाया चुकाने की कोशिश करें, वरना ब्याज बढ़ता जाएगा और स्कोर गिर सकता है।
अत्यधिक कर्ज न लें – अपनी क्षमता से अधिक लोन लेना और समय पर न चुका पाना स्कोर खराब कर सकता है।

अगर सिबिल स्कोर अच्छा न हो तो क्या होता है?

  • बैंक लोन देने से इनकार कर सकते हैं।
  • उच्च ब्याज दर पर लोन मिल सकता है।
  • क्रेडिट कार्ड कंपनियां लिमिट कम कर सकती हैं या कार्ड देने से इनकार कर सकती हैं।
  • कुछ मामलों में नौकरी पाने में भी दिक्कत आ सकती है।

RBI के दिशानिर्देश और नियम:

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सिबिल स्कोर और क्रेडिट रिपोर्टिंग को लेकर कई दिशानिर्देश और नियम बनाए हैं, ताकि ग्राहकों को पारदर्शिता और निष्पक्षता मिले। RBI क्रेडिट सूचना कंपनियों (Credit Information Companies - CICs) को रेगुलेट करता है, जिनमें TransUnion CIBIL, Experian, Equifax और CRIF High Mark शामिल हैं।

क्रेडिट रिपोर्टिंग का अधिकार:

प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह साल में एक बार मुफ्त में अपना क्रेडिट रिपोर्ट किसी भी क्रेडिट सूचना कंपनी से प्राप्त कर सकता है। कोई भी वित्तीय संस्था (बैंक या NBFC) बिना ग्राहक की सहमति के उसका क्रेडिट स्कोर नहीं निकाल सकती।

क्रेडिट रिपोर्ट में सुधार और पारदर्शिता:

अगर किसी व्यक्ति को अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में गलती दिखती है, तो वह सीधे क्रेडिट ब्यूरो या संबंधित बैंक से संपर्क कर सकता है और 30 दिनों के भीतर सुधार की मांग कर सकता है।
सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वे ग्राहकों की सही क्रेडिट जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को भेजें।

लोन मंजूरी में पारदर्शिता:

RBI ने बैंकों और NBFCs को यह निर्देश दिया है कि वे केवल क्रेडिट स्कोर के आधार पर लोन मंजूरी या अस्वीकृति न करें। अन्य कारकों जैसे कि आय, रोजगार स्थिति और पुनर्भुगतान क्षमता को भी ध्यान में रखना चाहिए।

क्रेडिट स्कोर का उपयोग:

बैंक और वित्तीय संस्थान सिबिल स्कोर का उपयोग लोन देने से पहले उधारकर्ता की वित्तीय विश्वसनीयता जांचने के लिए कर सकते हैं। लेकिन कोई भी संस्था सिबिल स्कोर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती।

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता:

कोई भी वित्तीय संस्था ग्राहक की सहमति के बिना उसकी क्रेडिट जानकारी किसी तीसरे पक्ष के साथ साझा नहीं कर सकती। RBI ने बैंकों को ग्राहक डेटा को सुरक्षित रखने के सख्त निर्देश दिए हैं।

RBI का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि क्रेडिट स्कोरिंग सिस्टम पारदर्शी, निष्पक्ष और ग्राहकों के लिए लाभदायक हो। अगर किसी व्यक्ति को अपने क्रेडिट स्कोर या रिपोर्ट में कोई समस्या आती है, तो वह RBI के बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) से शिकायत भी कर सकता है।

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