Digital Arrest : जानें ट्रेड और सेफ्टी टिप्स, ठग का कॉल आने पर बचेगी मेहनत की कमाई

डिजिटल युग में इंटरनेट और स्मार्टफ़ोन के बढ़ते उपयोग ने हमारे जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाया है। हालांकि, इसके साथ ही साइबर अपराधों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। रोजाना ठगोंं के तरीकों में भी इजाफा हो रहा है। इनमें से एक है 'डिजिटल अरेस्ट'। इसमें साइबर अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और उनसे रुपये ट्रांसफर करवाते हैं। ताजा मामला उड़ीसा से आया है, जहां एक विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर से 14 लाख रुपये इसी तरीके से ठगे गए।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

'डिजिटल अरेस्ट' साइबर ठगी का एक नया तरीका है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी या अन्य सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताकर पीड़ितों को फोन या वीडियो कॉल करते हैं। वे पीड़ितों को बताते हैं कि उनका नाम किसी आपराधिक गतिविधि, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी या अश्लील सामग्री से जुड़ा है। इसके बाद, वे पीड़ितों को कॉल काटने से मना करते हैं और कई बार लगातार अपनी निगरानी में रखते हैं। इस दौरान ठग गिरफ्तारी का डर दिखाकर इससे बचने के लिए रुपयों की मांग करते हैं। इतना ही नहीं वह पीड़ित व्यक्ति से कई बार रुपये ऐंठते हैं। ठगी के दौरान वह फर्जी दस्तावेज़, पुलिस यूनिफॉर्म और सरकारी प्रतीकों का उपयोग करके अपनी पहचान को सत्यापित करने का प्रयास करते हैं।

हाल के मामले

पिछले कुछ महीनों में, भारत में डिजिटल अरेस्ट के कई मामले सामने आए हैं। 

1. उड़ीसा की वाइस चांसलर के अलावा, हैदराबाद के 79 वर्षीय सेवानिवृत्त सलाहकार ए.वी. मोहन राव से 2 करोड़ रुपये ठगे लिए गए। ठगों ने उन्हें फर्जी डिजिटल गिरफ्तारी वारंट दिखाया और दावा किया कि उनका आधार और फोन नंबर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हैं। 

2. इसी तरह, हैदराबाद की 85 वर्षीय महिला से 5.9 करोड़ रुपये की ठगी की गई, जहां ठगों ने उन्हें बताया कि उनका आधार उच्च-प्रोफ़ाइल मनी लॉन्ड्रिंग मामलों से जुड़ा है। डरी पीड़ित महिला ने अपने फिक्स डिपॉजिट को तोड़कर रुपये ट्रांसफर किए। बाद में उनके बेटे ने मामला दर्ज कराया।

3. उधर, लखनऊ में दो एनआरआई बहनों से लगभग 1 करोड़ 90 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। दोनों बहने कनाडा से भारत घूमने आईं थी। साइबर ठगों ने इन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच का अफसर बनकर फोन किया और डराया धमकाया। शिकायत मिलने पर पुलिस ने 25 लाख रुपये फ्रीज कर दिए थे।

साइबर ठगों के निशाने पर कौन?

साइबर ठग विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, कम तकनीकी ज्ञान वाले व्यक्तियों और उन लोगों को निशाना बनाते हैं जो सरकारी अधिकारियों से डरते हैं। वे फर्जी आरोप लगाकर और गिरफ्तारी की धमकी देकर पीड़ितों को मानसिक दबाव में डालते हैं, जिससे वे ठगों की मांगों को मानने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

वरिष्ठ नागरिक: वरिष्ठ नागरिक तकनीक के बारे में कम जानते हैं और आसानी से ठगों के जाल में फंस जाते हैं।
महिलाएं: कुछ मामलों में, महिलाओं को विशेष रूप से निशाना बनाया जाता है।
कमजोर लोग: जो लोग तनाव या दबाव में हैं, वे ठगों की बातों में आसानी से आ जाते हैं।
तकनीकी रूप से अनजान लोग: जो लोग तकनीक के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, वे ठगों के धोखे को नहीं समझ पाते हैं।

ठगी के सामान्य तरीके

फर्जी कॉल और संदेश: ठग अनजान नंबरों से फोन कॉल, एसएमएस या व्हाट्सएप संदेश भेजते हैं, जिसमें बताया जाता है कि पीड़ित किसी आपराधिक मामले में संलिप्त है।


वीडियो कॉल पर धमकी: वे व्हाट्सएप या स्काइप पर वीडियो कॉल करते हैं, जहां वे पुलिस वर्दी में होते हैं और पीछे पुलिस स्टेशन जैसा बैकग्राउंड होता है। इससे वे अपनी पहचान को वास्तविक दिखाने का प्रयास करते हैं।


धन की मांग: पीड़ित को गिरफ्तारी से बचाने या मामले को सुलझाने के लिए वे धनराशि की मांग करते हैं, जिसे तुरंत उनके खाते में ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है।

साइबर ठगी होने पर क्या करें?

शांत रहें: किसी भी धमकी भरे कॉल या संदेश पर घबराएं नहीं।

कॉल समाप्त करें: यदि आपको संदेहास्पद कॉल प्राप्त होती है, तो तुरंत कॉल समाप्त करें और नंबर को ब्लॉक करें।

तुरंत कार्रवाई करें: यदि आप ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत अपने बैंक को सूचित करें ताकि वे आपके खाते को सुरक्षित कर सकें।

शिकायत दर्ज करें: नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें और अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इसके अलावा, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।

सबूत सुरक्षित रखें: कॉल लॉग, संदेश, ईमेल या अन्य संबंधित जानकारी को सुरक्षित रखें, जो जांच में सहायक हो सकती है।

ठग की कॉल की पहचान कैसे करें?

सरकारी एजेंसियों की प्रक्रिया समझें: पुलिस या अन्य सरकारी एजेंसियां कभी भी व्हाट्सएप या स्काइप के माध्यम से वीडियो कॉल नहीं करतीं।

धमकी और रुपये की मांग: यदि कोई कॉल पर रुपये की मांग करता है या गिरफ्तारी की धमकी देता है, तो यह निश्चित रूप से ठगी है।

संदिग्ध पहचान: यदि कॉल करने वाला व्यक्ति अत्यधिक दबाव डालता है, जल्दबाजी करता है, या आपको किसी से बात करने से रोकता है, तो सतर्क रहें।

ऑनलाइन पेमेंट करते समय सावधानियां

सुरक्षित नेटवर्क का उपयोग करें: सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करने से बचें; हमेशा सुरक्षित और निजी नेटवर्क का ही उपयोग करें।

दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (2FA) सक्षम करें: अपने बैंक और पेमेंट वॉलेट्स में 2FA सक्रिय करें ताकि अतिरिक्त सुरक्षा मिल सके।

संदिग्ध लिंक से बचें: अज्ञात या अविश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त लिंक पर क्लिक न करें।

नियमित खाता निरीक्षण: अपने बैंक और पेमेंट वॉलेट खातों की नियमित रूप से जांच करें ताकि किसी भी अनधिकृत लेनदेन का पता चल सके।

विश्वसनीय एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें: अपने डिवाइस को मालवेयर और फ़िशिंग हमलों से सुरक्षित रखने के लिए अद्यतन एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।

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