अफगानिस्तान में फिर सुनाई देगी Radio Begum की आवाज़


अफ़ग़ानिस्तान में एक महत्वपूर्ण घटना ने उम्मीद की किरण जगाई है। महिलाओं द्वारा संचालित रेडियो स्टेशन 'रेडियो बेगम' ने तालिबान द्वारा लगाए गए निलंबन के बाद फिर से अपने प्रसारण शुरू कर दिए हैं। यह घटना न केवल मीडिया की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अफ़ग़ान महिलाओं के संघर्ष और साहस का प्रतीक भी है।

रेडियो बेगम की स्थापना और उद्देश्य

'रेडियो बेगम' की स्थापना मार्च 2021 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य अफ़ग़ान महिलाओं की आवाज़ को प्रसारित करना, उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोविज्ञान और आध्यात्मिकता से संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाना था। इस स्टेशन की विशेषता यह है कि इसका संपूर्ण संचालन महिलाओं द्वारा ही किया जाता है, जो अफ़ग़ानिस्तान जैसे पारंपरिक समाज में एक साहसिक कदम है।

तालिबान का निलंबन और उसके पीछे की वजह

फरवरी 2025 में, तालिबान ने 'रेडियो बेगम' पर विदेशी टीवी चैनल के साथ सहयोग करने का आरोप लगाते हुए इसके प्रसारण को सस्पेंड कर दिया। तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि स्टेशन ने "इस्लामी अमीरात के कानूनों और नियमों" का उल्लंघन किया है। हालांकि, रेडियो बेगम की टीम ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। इस निलंबन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में चिंता और आलोचना को जन्म दिया, क्योंकि यह मीडिया की स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों पर सीधा हमला था।

निलंबन का प्रभाव और महिलाओं की प्रतिक्रिया

रेडियो बेगम के निलंबन का प्रभाव न केवल स्टेशन की टीम पर, बल्कि उन लाखों महिलाओं पर भी पड़ा जो इस माध्यम से शिक्षा और जानकारी प्राप्त करती थीं। अफ़ग़ानिस्तान में पहले से ही महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध है, और रेडियो बेगम उन कुछ स्रोतों में से एक था जो उन्हें शिक्षा से जोड़े रखता था। इस निलंबन ने महिलाओं के बीच निराशा और असुरक्षा की भावना को बढ़ाया। हालांकि, रेडियो बेगम की टीम ने हार नहीं मानी और तालिबान अधिकारियों के साथ संवाद जारी रखा ताकि प्रसारण को फिर से शुरू किया जा सके।

प्रसारण की बहाली और उसकी शर्तें

लगातार प्रयासों और संवाद के बाद, तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने रेडियो बेगम के प्रसारण को फिर से शुरू करने की अनुमति दी। स्टेशन ने आश्वासन दिया कि वे "पत्रकारिता के सिद्धांतों और इस्लामी अमीरात के नियमों" का पालन करेंगे और भविष्य में किसी भी उल्लंघन से बचेंगे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इन नियमों और सिद्धांतों की विशिष्टता क्या है, लेकिन प्रसारण की बहाली ने अफ़ग़ान महिलाओं और मीडिया समुदाय में एक नई उम्मीद जगाई है।

अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की वर्तमान स्थिति

तालिबान के सत्ता में आने के बाद से, अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की स्थिति लगातार बिगड़ती गई है। उन्हें शिक्षा, कार्यस्थल और सार्वजनिक जीवन से लगभग बाहर कर दिया गया है। महिलाओं को छठी कक्षा से आगे की शिक्षा से वंचित किया गया है, और अधिकांश कार्यस्थलों पर उनकी भागीदारी निषिद्ध है। इसके अलावा, मीडिया पर भी सख्त नियंत्रण है, जिससे पत्रकारों, विशेषकर महिला पत्रकारों, की स्वतंत्रता सीमित हो गई है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के 2024 प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में, अफ़ग़ानिस्तान 180 देशों में से 178वें स्थान पर है, जो मीडिया की स्वतंत्रता की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

रेडियो बेगम की बहाली का महत्व

रेडियो बेगम के प्रसारण की बहाली अफ़ग़ान महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है। यह न केवल उनकी आवाज़ को फिर से मंच प्रदान करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि संवाद और दृढ़ता के माध्यम से परिवर्तन संभव है। इस घटना ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी आकर्षित किया है, जो अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और मीडिया की स्वतंत्रता के समर्थन में है।

भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ

हालांकि रेडियो बेगम ने अपने प्रसारण फिर से शुरू कर दिए हैं, लेकिन चुनौतियाँ अभी भी बरकरार हैं। तालिबान के सख्त नियमों और सेंसरशिप के बीच, स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता करना कठिन है। इसके अलावा, महिलाओं की शिक्षा और कार्यस्थल में भागीदारी पर लगे प्रतिबंधों के कारण, रेडियो बेगम की टीम को सामग्री निर्माण और संचालन में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। फिर भी, रेडियो बेगम की टीम का साहस और समर्पण यह दर्शाता है कि वे इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण है। रेडियो बेगम के निलंबन और बहाली की घटना ने यह स्पष्ट किया है कि वैश्विक समर्थन और दबाव के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन संभव है। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, सरकारों और नागरिक समाज को अफ़ग़ान महिलाओं और पत्रकारों के समर्थन में सक्रिय रहना होगा, ताकि वे अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा कर सकें।

रेडियो बेगम की कहानी अफ़ग़ान महिलाओं के संघर्ष, साहस और दृढ़ता की कहानी है। तालिबान के कठोर नियमों और प्रतिबंधों के बावजूद, उन्होंने अपनी आवाज़ को जीवत रखा।

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