खेती में AI का Role भारतीय किसानों के लिए विकास के द्वार देगा खोल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज हर क्षेत्र में बदलाव ला रहा है, और कृषि भी इससे अछूता नहीं है। बदलते जलवायु, बढ़ती जनसंख्या, और सीमित प्राकृतिक संसाधनों के बीच AI खेती के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। भारत सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए AI-आधारित पहल जैसे ‘किसान ई-मित्र’ चैटबॉट, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली और उपग्रह आधारित फसल निगरानी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

खेती में AI की भूमिका

फसल उत्पादन और निगरानी: AI-आधारित सिस्टम सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन टेक्नोलॉजी और मशीन लर्निंग का उपयोग कर फसलों की स्थिति को ट्रैक करने और संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान लगाने में मदद करता है। इससे किसानों को सही समय पर आवश्यक कदम उठाने में सहायता मिलती है।

मृदा और जल प्रबंधन: स्मार्ट सेंसर और डेटा एनालिटिक्स तकनीकों का उपयोग कर मिट्टी की नमी, पोषक तत्वों और पानी की आवश्यकताओं का आकलन किया जाता है, जिससे जल और उर्वरकों के सही उपयोग की योजना बनाई जा सकती है।

कीट और रोग प्रबंधन: राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली जैसे AI-आधारित समाधानों का उपयोग कर कीट और बीमारियों के फैलने से पहले ही सतर्कता बरती जा सकती है, जिससे फसल उत्पादन में नुकसान को कम किया जा सकता है।

बाजार पूर्वानुमान और मूल्य निर्धारण: AI डेटा विश्लेषण की मदद से किसानों को फसल की मांग और मूल्य संबंधी जानकारी प्रदान की जाती है, जिससे वे अपनी उपज को सही समय पर उचित दाम पर बेच सकते हैं।

भारत सरकार की AI आधारित पहलें

भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में कई AI-आधारित उपाय लागू किए हैं:

‘किसान ई-मित्र’: यह एक AI-आधारित चैटबॉट है, जो किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना से जुड़ी जानकारी प्रदान करता है। यह बहुभाषी समर्थन के साथ अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराने की दिशा में विकसित हो रहा है।

राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली: जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए AI और मशीन लर्निंग का उपयोग कर फसलों में कीट संक्रमण की पहचान की जाती है, जिससे समय पर हस्तक्षेप संभव हो पाता है।

AI आधारित फसल स्वास्थ्य निगरानी: फसल स्वास्थ्य आकलन के लिए फील्ड फोटोग्राफी, सैटेलाइट डेटा, मौसम संबंधी जानकारी और मिट्टी की नमी का विश्लेषण किया जाता है, जिससे खासतौर पर गेहूं और चावल की फसलों की स्थिति पर नजर रखी जा सके।

यह जानकारी केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर द्वारा लोकसभा में एक लिखित उत्तर के रूप में प्रदान की गई।

खेती में AI का भविष्य

AI की सहायता से भविष्य में खेती अधिक सटीक, लागत-कुशल और पर्यावरण-अनुकूल बन सकती है।

सटीक खेती (Precision Farming): फसलों की देखभाल के लिए AI-आधारित रोबोटिक्स, ड्रोन और स्मार्ट सेंसर का उपयोग किया जाएगा।

सस्टेनेबल एग्रीकल्चर: जलवायु परिवर्तन को देखते हुए AI खेती के नए तरीके विकसित करेगा जो न्यूनतम जल और उर्वरकों के उपयोग से भी अधिकतम उपज देंगे।

स्वायत्त कृषि मशीनें: बिना मानव हस्तक्षेप के काम करने वाली मशीनें जैसे AI ट्रैक्टर और हार्वेस्टर खेती को और अधिक कारगर बनाएंगे।

भारत समेत अन्य देशों में AI का उपयोग

भारत: ‘किसान ई-मित्र’, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली और सैटेलाइट-आधारित फसल निगरानी जैसी AI पहलें।

अमेरिका: AI-आधारित ड्रोन का उपयोग फसलों के निरीक्षण और स्वचालित सिंचाई के लिए किया जाता है।

चीन: स्मार्ट फार्मिंग के लिए AI और IoT का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

इजरायल: जल बचाने और खेती की उत्पादकता बढ़ाने के लिए AI-आधारित ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष

खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। यह न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और बढ़ती खाद्य मांग जैसी चुनौतियों का सामना करने में भी सहायक होगा। सरकार की AI-आधारित योजनाओं और तकनीकी नवाचारों के साथ, भारत सहित पूरी दुनिया में कृषि क्षेत्र का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल प्रतीत हो रहा है।

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