Nuclear Energy में बड़ी छलांग : नेशनल न्यूक्लियर मिशन के तहत मिलेंगे 5 रिएक्टर

भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा को देश के दीर्घकालिक ऊर्जा बदलाव रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होगी। यह विकास "विकसित भारत" की व्यापक योजना के अनुरूप है।

परमाणु ऊर्जा मिशन: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

सरकार ने परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए "परमाणु ऊर्जा मिशन" शुरू किया है। इस मिशन के तहत घरेलू परमाणु तकनीक को मजबूत करने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) जैसी उन्नत परमाणु तकनीकों को विकसित करने पर जोर दिया गया है।

छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और अनुसंधान एवं विकास (R&D)

सरकार ने SMR अनुसंधान और विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस धनराशि का उपयोग 2033 तक कम से कम पाँच स्वदेशी SMR विकसित और संचालित करने के लिए किया जाएगा। SMR छोटे और कुशल परमाणु रिएक्टर होते हैं, जो पारंपरिक बड़े परमाणु संयंत्रों की तुलना में अधिक सुरक्षित और लचीले होते हैं।

परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन

सरकार परमाणु ऊर्जा मिशन को प्रभावी बनाने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और नागरिक परमाणु दायित्व अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है। ये बदलाव निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

भारत के छोटे रिएक्टर (Bharat Small Reactors - BSR)

भारत सरकार भारत छोटे रिएक्टर (BSR) विकसित करने पर भी ध्यान दे रही है। ये 220 मेगावाट क्षमता वाले प्रेसराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR) होंगे, जो कम भूमि में भी स्थापित किए जा सकते हैं। इनका उपयोग स्टील, एल्यूमिनियम, और अन्य उद्योगों के लिए किया जाएगा ताकि उन्हें निर्बाध बिजली आपूर्ति मिल सके और डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा दिया जा सके।

BSR की प्रमुख विशेषताएँ:

1. छोटे क्षेत्र में स्थापित किए जा सकते हैं।

2. औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं।

3. निजी कंपनियों और NPCIL (न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) के संयुक्त सहयोग से विकसित किए जाएंगे।

भारत के SMR: 2033 तक 5 स्वदेशी SRM

Small Modular Reactors (SMR) एक नया और उन्नत परमाणु ऊर्जा विकल्प है, जो 30 से 300 मेगावाट की क्षमता प्रदान करता है। ये छोटे और मॉड्यूलर डिज़ाइन के कारण तेजी से निर्मित किए जा सकते हैं और लागत में कमी लाते हैं। सरकार SMR को कोयला आधारित पावर प्लांट के स्थान पर लगाने की योजना बना रही है, जिससे ऊर्जा उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन कम होगा। सरकार ने ₹20,000 करोड़ का बजट SMRs के अनुसंधान और विकास के लिए आवंटित किया है। 2033 तक 5 स्वदेशी SMRs विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। SMRs छोटे, सुरक्षित और कुशल रिएक्टर होते हैं, जो कम लागत में रिन्यूएबल ऊर्जा का बेहतर विकल्प बन सकते हैं।

भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता में विस्तार

वर्तमान में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 8,180 मेगावाट है, जिसे 2031-32 तक 22,480 मेगावाट तक बढ़ाने की योजना है। इसके तहत 10 नए परमाणु संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिनमें राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में नए रिएक्टर शामिल होंगे।

इसके अलावा, अमेरिका के सहयोग से आंध्र प्रदेश के कोव्वाडा में 6×1208 मेगावाट क्षमता वाले परमाणु संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई गई है।

नवीनतम विकास: भारत की परमाणु ऊर्जा की प्रगति

सितंबर 2024: राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना की यूनिट-7 में पहली बार फ्यूजन प्रक्रिया शुरू हुई।

गुजरात के काकरापार में 700 MWe PHWR यूनिट-3 और 4 व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर चुके हैं।

भारत का पहला प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR - 500 MWe) 2024 में महत्वपूर्ण परीक्षणों को पूरा कर चुका है।

NPCIL और NTPC के संयुक्त उपक्रम अश्विनी (ASHVINI) के तहत परमाणु संयंत्रों का विकास किया जाएगा।

दुनिया को चौका देने वाली है यह घोषणा ः जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बजट 2025 को परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों को शामिल करने के लिए क्रांतिकारी और दूरगामी घोषणा वाला भविष्य का बजट बताया। उन्होंने कहा कि यह घोषणा दुनिया को चौंका देने वाली है और यह दृढ़ विश्वास के उसी साहस को दर्शाता है, जिसे पीएम मोदी ने तब प्रदर्शित किया था जब उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया था और कुछ वर्षों के भीतर चमत्कारिक परिणाम सामने आए।

निष्कर्ष

केंद्रीय बजट 2025-26 में परमाणु ऊर्जा को दी गई प्राथमिकता भारत की ऊर्जा नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाती है। परमाणु ऊर्जा मिशन के तहत दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा, सतत विकास और औद्योगिक प्रगति सुनिश्चित की जाएगी। सरकार की यह पहल 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने में सहायक होगा।

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