
बॉलीवुड में रिश्तों का बनना और बिगड़ना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब कोई शादी 30-40 साल तक चलने के बाद टूटती है, तो यह केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं रह जाता, बल्कि सोसायटी में एक चर्चा का विषय बन जाता है। हाल ही में गोविंदा और सुनीता अहूजा के 37 साल बाद अलग होने की अटकलों ने सभी को चौंका दिया। इससे पहले, जाने-माने संगीतकार ए.आर. रहमान के तलाक की खबर भी चर्चा में रही। यह सवाल उठता है कि इतने वर्षों तक साथ रहने के बाद आखिर ऐसा क्या होता है जो कपल्स को अलग होने पर मजबूर कर देता है? इस सवाल का जवाब ढूंढता हमारा ये आर्टिकल।
बॉलीवुड में लंबी चली शादियों के टूटने का ट्रेंड
बीते 70 वर्षों में बॉलीवुड में कई ऐसी जोड़ियां रही हैं, जिनकी शादियां लंबे समय तक चलीं, लेकिन फिर भी वे तलाक तक जा पहुंचीं। इनमें से कुछ प्रमुख जोड़ियां इस प्रकार हैं:
किशोर कुमार और योगिता बाली – किशोर कुमार की चौथी शादी योगिता बाली से हुई थी, लेकिन यह शादी लंबे समय तक नहीं चल पाई और तलाक हो गया।
कबीर बेदी और प्रोतीमा बेदी – इन दोनों ने 1969 में एक-दूसरे को अपना जीवनसाथी चुना। इनके दो बच्चे भी हैं।20 वर्षों की शादी के बाद यह जोड़ी अलग हो गई। तलाक के बाद भी ये दोस्त रहे और बच्चों की देखभाल भी की।आमिर खान और किरण राव – 15 साल की शादी के बाद 2021 में अलग हुए। हालांकि दोनों के अलग होने की वजह कोई बड़ी लड़ाई नहीं रही। ये आज भी अच्छे दोस्त हैं।
सैफ अली खान और अमृता सिंह – सैफ ने अपनी उम्र से बड़ी अमृता सिंह से साल 1991 में शादी की थी। उनके दो बच्चे भी हुए। फिर 2004 में दोनों ने 13 साल की शादी के बाद तलाक लिया।
कमल हासन और सारिका – दोनों की शादी साल 1988 में हुई थी। 2002 में दोनों ने अलग होने का फैसला किया और 2004 में दोनों का तलाक हो गया। इनकी शादी करीब 16 साल चली।
गुलजार और राखी – इनके रिश्ते की शुरुआत साल 1972 में हुई थी और 1973 में दोनों एक दूसरे के हो गए थे। 7 साल तक साथ रहने के बाद अलग हुए, हालांकि तलाक नहीं लिया।
हृतिक रोशन और सुज़ैन खान – साल 2000 में इनकी शादी हुई थी। इसके 14 साल बाद 2014 में तलाक लिया।
इन मामलों से यह साफ है कि लंबी चली शादियों का टूटना अब कोई नहीं बात नहीं रह गया है। हालांकि इन पर चर्चा आज भी होती है।
बॉलीवुड में तलाक का ट्रेंड
बॉलीवुड में तलाक का ट्रेंड बदलते समाज और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुसार विकसित हुआ है। पहले के समय में तलाक को सामाजिक रूप से नकारात्मक रूप में देखा जाता था, लेकिन अब इसे एक स्वाभाविक निर्णय के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है।
1980-90 का दशक – इस समय तक ज्यादातर कलाकार अपने रिश्तों को बचाने की कोशिश करते थे, क्योंकि समाज तलाक को अच्छा नहीं मानता था।
2000 के बाद का दौर – इस दौर में तलाक को ज्यादा खुले दिमाग से स्वीकार किया जाने लगा और कलाकारों ने अपने व्यक्तिगत जीवन में खुशी को प्राथमिकता दी।आज का समय – आजकल तलाक को सामाजिक और कानूनी रूप से आसानी से स्वीकार किया जाता है, और कलाकारों के लिए यह किसी भी अन्य व्यक्तिगत निर्णय की तरह हो गया है।
इतने लंबे समय बाद शादी टूटने के पीछे के कारण
शादी एक सामाजिक संस्था है, लेकिन इसमें कई मनोवैज्ञानिक और व्यक्तिगत पहलू भी शामिल होते हैं। 30-40 साल तक साथ रहने के बाद भी जब कपल अलग होने का फैसला करता है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
समय के साथ बदलती प्राथमिकताएं – जीवन के अलग-अलग चरणों में व्यक्ति की प्राथमिकताएं बदलती हैं। जो बातें पहले महत्व रखती थीं, वे बाद में कम जरूरी हो सकती हैं।
संवाद की कमी – कई बार सालों तक साथ रहने के बावजूद पति-पत्नी के बीच संवाद में कमी आ जाती है, जिससे दूरी बढ़ जाती है।व्यक्तिगत विकास – एक-दूसरे के साथ रहने के बावजूद व्यक्तिगत रूप से विकसित होना भी जरूरी है। जब यह तालमेल नहीं बैठता, तो रिश्ते में दरार आ सकती है।
बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त होना – कई कपल बच्चे बड़े होने तक शादी निभाते हैं, लेकिन जब वे अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं, तो पति-पत्नी अपनी वास्तविक इच्छाओं और भावनाओं का सामना करते हैं।
मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक बदलाव – बढ़ती उम्र के साथ व्यक्तित्व में भी बदलाव आते हैं। अगर दोनों साथी इस बदलाव के अनुकूल नहीं होते, तो शादी में मुश्किलें आ सकती हैं।
अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट का क्या है व्यू
1. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
एक साइकाइट्रिस का कहना है कि लंबे समय तक चले रिश्ते में मोनोटनी (एकरसता) आ सकती है। साथ ही, यदि दोनों पार्टनर के बीच भावनात्मक जुड़ाव कमजोर पड़ने लगे, तो शादी कमजोर हो जाती है। कई बार दोनों की प्राथमिकताएं अलग हो जाती हैं, और वे खुद को अलग महसूस करने लगते हैं।
...ताकि न बने ऐसे हालात
शादी की सफलता के लिए निरंतर संवाद जरूरी होता है। अगर रिश्ते में भावनात्मक दूरी आ गई है, तो कपल को काउंसलिंग लेनी चाहिए। उम्र के साथ रिश्ते में नएपन को बनाए रखना आवश्यक है।
2. कानून के नजरिए से
फैमिली लॉ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आजकल कानून भी तलाक को आसान बना रहा है। पहले के समय में तलाक एक कठिन प्रक्रिया थी, लेकिन अब कपल्स के पास विभिन्न लीगल ऑप्शन्स उपलब्ध हैं, जिससे वे अपनी मर्जी से अलग हो सकते हैं।
क्या पड़ता है असरः
लंबे समय बाद तलाक लेने वाले कपल्स को संपत्ति और आर्थिक मामलों पर ज्यादा विचार करना पड़ता है। तलाक की प्रक्रिया भावनात्मक रूप से थकाने वाली हो सकती है, खासकर अगर बच्चे भी इसमें शामिल हों।
3. सोशलॉजिस्ट की राय
सोशलॉजिस्ट मानते हैं कि भारतीय समाज में तलाक को पहले अस्वीकार किया जाता था, लेकिन अब इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा माना जाने लगा है। शादी को निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर ही नहीं बल्कि दोनों पर समान रूप से होनी चाहिए।
भावनात्मक पहलू: कपल पर क्या असर पड़ता है?
मानसिक तनाव और अकेलापन – लंबे समय तक साथ रहने के बाद अलग होने पर व्यक्ति में अकेलापन और डिप्रेशन की भावना आ सकती है।
परिवार और समाज का दबाव – खासकर भारत में, तलाक को अभी भी एक असामान्य घटना माना जाता है, जिससे कपल पर सामाजिक दबाव बढ़ जाता है।नई जिंदगी की शुरुआत – तलाक के बाद नई जिंदगी की शुरुआत करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर अगर व्यक्ति 50-60 साल की उम्र में हो।
बच्चों पर प्रभाव – यदि कपल के बच्चे हैं, तो उनके लिए भी यह निर्णय मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत कठिन हो सकता है।
बॉलीवुड में लंबी चली शादियों के टूटने का ट्रेंड अब सामान्य होता जा रहा है। इसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और व्यक्तिगत कारण होते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर कपल अपने रिश्ते को बचाना चाहते हैं, तो उन्हें समय-समय पर काउंसलिंग लेनी चाहिए और एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। शादी एक जीवनभर का बंधन है, लेकिन अगर दो लोग एक-दूसरे के साथ खुश नहीं हैं, तो अलग होना भी एक सही निर्णय हो सकता है।