Vegan Diet : फॉलो करने से पहले जानें इसके फायदे और नुकसान

वीगन डाइट एक ऐसा आहार पैटर्न है जिसमें पूरी तरह से पशु-उत्पादों को त्याग दिया जाता है। इसमें मांस, मछली, अंडे, डेयरी उत्पाद, शहद जैसे सभी पशु-आधारित खाद्य पदार्थ शामिल नहीं होते। यह पूरी तरह से पौधों पर आधारित होता है और इसमें फल, सब्जियां, अनाज, दालें, नट्स और बीजों का प्रमुख स्थान होता है।

वीगन नाम की उत्पत्ति 

‘वीगन’ शब्द की शुरुआत 1944 में हुई जब डोनाल्ड वॉटसन नामक एक ब्रिटिश व्यक्ति ने ‘वीगन सोसाइटी’ की स्थापना की। यह नाम ‘वेज़िटेरियन’ शब्द के शुरुआती और अंतिम अक्षरों से लिया गया है। इसका उद्देश्य था ऐसे आहार और जीवनशैली को बढ़ावा देना जिसमें जानवरों का किसी भी प्रकार से उपयोग न किया जाए।

वीगन डाइट में शामिल खाद्य पदार्थ

फल और सब्जियां: मौसमी और हरी पत्तेदार सब्जियां, सेब, केला, संतरा, आम आदि।

अनाज और दलहन: गेहूं, चावल, जौ, सोयाबीन, मसूर, चना आदि।

नट्स और बीज: बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, चिया बीज।

प्लांट-बेस्ड मिल्क: सोया मिल्क, बादाम मिल्क, नारियल मिल्क।

मीट विकल्प: टोफू, टेम्पेह, सीतान।

स्वीटनर्स: गुड़, खजूर सिरप।

भारत और अन्य देशों में लोकप्रियता 

वीगन डाइट पश्चिमी देशों में 20वीं सदी के अंत में तेजी से लोकप्रिय हुई। 2000 के दशक में पर्यावरण और स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ने के साथ, यह चलन भारत में भी बढ़ा। भारत में पारंपरिक शाकाहारी भोजन की जड़ें पहले से ही मजबूत हैं, जिससे यह डाइट आसानी से अपनाई जा रही है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, वीगन डाइट संतुलित होने पर स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकती है। यह हृदय रोग, डायबिटीज और मोटापे के खतरे को कम करने में मदद करती है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल हों।

हो सकती है इन पोषक तत्वों की कमी 

विटामिन बी12: यह केवल पशु-उत्पादों में पाया जाता है। इसे सप्लीमेंट्स या फोर्टिफाइड फूड्स से पूरा किया जा सकता है।

प्रोटीन: पर्याप्त मात्रा में दालें, नट्स और बीज शामिल करना जरूरी है।

आयरन और जिंक: पालक, चुकंदर और फोर्टिफाइड अनाज से पूरा किया जा सकता है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड्स: चिया सीड्स, अलसी के बीज इसके अच्छे स्रोत हैं।

वीगन डाइट अपनाने के लिए जरूरी बातें

संतुलित भोजन: हर दिन सभी आवश्यक पोषक तत्वों को ध्यान में रखें।

प्लानिंग: किसी भी पोषण की कमी से बचने के लिए पहले से योजना बनाएं।

सप्लीमेंट्स का सहारा: विटामिन बी12 और डी की कमी को पूरा करने के लिए।

डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से परामर्श: डाइट शुरू करने से पहले परामर्श लें।

इसे लेकर हुई रिसर्च क्या कहती हैं

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी के मुताबिर, पूरी तरह से पौधों पर आधारित डाइट अपनाने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, प्रदूषण और भूमि उपयोग में काफी कमी आती है। यह व्यापक अध्ययन Nature Food जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें 55,504 लोगों (वीगन, वेजिटेरियन, मछली खाने वाले और मांस खाने वाले) की डाइट से जुड़े डेटा को 570 लाइफ-साइकल असेसमेंट्स से जोड़ा गया, जिनमें 38,000 से अधिक फॉर्म्स और 119 देशों का डेटा शामिल था। इन आंकड़ों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूमि उपयोग, पानी का उपयोग, जल प्रदूषण और जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया गया।

अध्ययन के नतीजे:

  • वीगन लोगों का पर्यावरण पर प्रभाव, हाई-मांस खाने वालों (जो रोज़ 100 ग्राम से ज्यादा मांस खाते हैं) की तुलना में केवल चौथाई था।
  • जैव विविधता के नुकसान और पानी के उपयोग में भी क्रमशः 34% और 46% की कमी पाई गई।
  • मांस आधारित डाइट के मुकाबले, वीगन डाइट से मीथेन उत्सर्जन में 93% कमी आई।

हालांकि, The Guardian ने बताया कि लो-मांस, पेस्केटेरियन (मछली खाने वाले) और वेजिटेरियन डाइट के प्रभावों में ज्यादा अंतर नहीं है। वीगन डाइट इन सबकी तुलना में पर्यावरण के लिए सबसे बेहतर है — इसका ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर प्रभाव लो-मांस डाइट का भी आधा है, लेकिन सबसे बड़ा प्रभाव तभी होगा जब लोग अपने खाने-पीने की आदतों में बदलाव लाएंगे, खासतौर पर अमीर देशों में।

भारत में वीगन डाइट का भविष्य 

भारत में वीगन डाइट का भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है। शाकाहार की पारंपरिक जड़ें और बढ़ती स्वास्थ्य व पर्यावरण जागरूकता इस ट्रेंड को समर्थन दे रही हैं। कई बड़े शहरों में वीगन रेस्टोरेंट और प्लांट-बेस्ड प्रोडक्ट्स की उपलब्धता बढ़ रही है।

वीगन डाइट न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और पशु कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। हालांकि, इसे अपनाने से पहले सही जानकारी और योजना बनाना आवश्यक है। संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर वीगन डाइट न केवल आपको स्वस्थ रखेगी, बल्कि पृथ्वी को भी बेहतर बनाएगी।

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