World Radio Day : वो ज़माना, वो यादें, वो एहसास -आज भी है एक अटूट रिश्ता
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13 फरवरी को रेडियो दिवस है, और यह दिन हमें उस जादुई डिब्बे की याद दिलाता है जिसने कभी पूरे देश को एक साथ बांध दिया था। रेडियो, सिर्फ एक यंत्र नहीं, बल्कि एक ऐसा साथी था जो हमारे सुख-दुख में हमेशा साथ रहा। भारत में रेडियो का शुरुआती दौर एक क्रांति से कम नहीं था। यह वह समय था जब संचार के साधन सीमित थे, और रेडियो ही दुनिया से जुड़ने का एकमात्र जरिया था।
रेडियो का अविष्कार और उसका इतिहास
रेडियो का अविष्कार 19वीं शताब्दी के अंत में हुआ। टेलीग्राफ और टेलीफोन के विकास के बाद, वैज्ञानिकों ने बिना तार के संचार के नए तरीकों पर काम करना शुरू किया। 1895 में, महान वैज्ञानिक गुग्लिएल्मो मार्कोनी ने पहला रेडियो सिग्नल ट्रांसमिट किया। यह खोज आगे चलकर एक संचार क्रांति साबित हुई। धीरे-धीरे, रेडियो का प्रयोग केवल वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं से बाहर निकलकर आम जनजीवन में प्रवेश करने लगा।
आकाशवाणी: एक आवाज, एक पहचान
भारत में रेडियो का आगमन 1923 में हुआ, जब बॉम्बे रेडियो क्लब ने पहली बार प्रसारण शुरू किया। 1930 में, भारतीय प्रसारण सेवा की शुरुआत हुई, जो बाद में 1936 में ‘ऑल इंडिया रेडियो’ (आकाशवाणी) के नाम से जानी गई। आकाशवाणी ने भारत के लोगों को जोड़ने और जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आकाशवाणी, जो बाद में ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के नाम से जाना गया, भारत की आवाज बन गया था। सुबह की शुरुआत भक्ति संगीत से होती थी, तो दोपहर में किसानों के लिए खेती-किसानी की जानकारी प्रसारित की जाती थी। शाम को समाचार और मनोरंजन के कार्यक्रम पूरे परिवार को एक साथ ले आते थे।
मुझे याद है, मेरे दादाजी हर शाम रेडियो पर समाचार सुनने के लिए बैठ जाते थे। उस समय, रेडियो ही एकमात्र स्रोत था जिससे हमें देश-दुनिया की खबरों का पता चलता था। रेडियो पर प्रसारित होने वाले नाटकों और कहानियों ने हमारी कल्पना को उड़ान दी। "जयमाला" कार्यक्रम में सैनिकों के लिए प्रसारित होने वाले गाने उन्हें हौसला देते थे, तो "युववाणी" युवाओं की आवाज बन गया था।
विविध भारती: मनोरंजन का खजाना
भारत में विविध भारती की शुरुआत 3 अक्टूबर 1957 को हुई थी। इसका उद्देश्य व्यावसायिक रूप से प्रायोजित कार्यक्रमों और लोकप्रिय संगीत को प्रसारित करना था, जो उस समय आकाशवाणी के कार्यक्रमों का हिस्सा नहीं थे। विविध भारती रेडियो का एक ऐसा चैनल था जो पूरी तरह से मनोरंजन के लिए समर्पित था। फिल्मी गाने, नाटक, और हास्य कार्यक्रम - सब कुछ विविध भारती पर उपलब्ध था। "छाया गीत" और "आपकी फरमाइश" जैसे कार्यक्रमों ने श्रोताओं को दीवाना बना दिया था। लोग अपनी पसंदीदा गाने सुनने के लिए बेसब्री से इंतजार करते थे।
विविध भारती की यादों को ताजा करते हुए लोगों का कहना है कि उस दौर में लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, और किशोर कुमार जैसे गायकों की आवाजें हमारे घर में गूंजती रहती थीं। रेडियो ने हमें संगीत से प्यार करना सिखाया और हमारी संस्कृति से जोड़ा।
वो यादगार कार्यक्रम
रामायण और महाभारत: जब टेलीविजन नहीं था, तब रेडियो पर प्रसारित होने वाले रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिकों ने पूरे देश को एक साथ बांध दिया था। लोग अपने सारे काम छोड़कर इन कार्यक्रमों को सुनने के लिए बैठ जाते थे।
हवा महल: यह एक हास्य कार्यक्रम था जो लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर देता था। बद्रिनाथ और सुदर्शन की जोड़ी ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बना ली थी।
ओल्ड इज गोल्ड: अमीन सायानी की आवाज में पुराने हिंदी गाने सुनने का अनुभव ही कुछ और था। उनकी अनूठी शैली ने इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया।
पीएम ने दी रेडियो डे की बधाई
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी। उन्होंने सभी को इस महीने की 23 तारीख को होने वाले मन की बात कार्यक्रम के लिए अपने विचारों और सुझावों को साझा करने के लिए भी आमंत्रित किया।
Happy World Radio Day!
Radio has been a timeless lifeline for several people—informing, inspiring and connecting people. From news and culture to music and storytelling, it is a powerful medium that celebrates creativity.
I compliment all those associated with the world of…
आज, जब हमारे पास मनोरंजन और सूचना के कई साधन उपलब्ध हैं, रेडियो की भूमिका बदल गई है। लेकिन, इसका महत्व अभी भी बरकरार है। रेडियो आज भी दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है। यह आपदाओं के समय में सूचना का महत्वपूर्ण स्रोत है।
आज के दौर में, एफएम रेडियो स्टेशनों ने युवाओं के बीच अपनी जगह बना ली है। ये स्टेशन नए गाने, चैट शो, और अन्य मनोरंजक कार्यक्रम प्रसारित करते हैं। इंटरनेट रेडियो और पॉडकास्ट ने भी रेडियो को एक नया आयाम दिया है।
रेडियो एक ऐसा माध्यम है जो हमेशा प्रासंगिक रहेगा। यह न केवल सूचना और मनोरंजन का स्रोत है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और विरासत का भी हिस्सा है। विश्व रेडियो दिवस पर, हमें रेडियो के महत्व को याद रखना चाहिए और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही हम रेडियो से जुड़े इस सदाबहार गीत के साथ आप से विदा लेते हैं।