
हमारे भारतीय समाज में कभी मोटापे को खाते-पीते घर की निशानी माना जाता था, लेकिन आज यही मोटापा लोगों के लिए खासतौर से बच्चों के लिए खतरे की घंटी माना जाता है। फिजिकल एक्टिविटी करने के वक्त मोबाइल या टीवी स्क्रीन के आगे घंटो बैठे रहना इसकी एक बड़ी वजह है। वहीं बड़े तो बड़े आज बच्चों की लाइफस्टाइल भी बेहद बिगड़ चुकी है। अच्छे और पौष्टिक खाने की आदत तो भूल ही जाइए। नतीजा क्या ? तेजी से बढ़ता बचपन का मोटापा, जो न केवल उनके फिजिकल डिवेलपमेंट पर असर डालता है, बल्कि उनके मेंटल हेल्थ और कॉन्फिडेंस लेवल पर भी गहरा असर छोड़ता है। अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान न दिया गया, तो आने वाले समय में यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
हर साल 4 मार्च को मनाए जाने वाले वर्ल्ड ओबेसिटी डे पर आज हम बच्चों में मोटापे की समस्या पर बात करेंगे। इस दिन का उद्देश्य मोटापे की समस्या पर जागरूकता बढ़ाना और इससे बचाव के लिए प्रभावी कदम उठाना है।
भारत में बच्चों में मोटापे की स्थिति और वैश्विक स्थान
1. भारत दुनिया में मोटे बच्चों की संख्या के हिसाब से दूसरे स्थान पर है।
2. करीब 14 मिलियन भारतीय बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं।3. शहरी क्षेत्रों में 20-30% बच्चे मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त हैं।
4. गलत खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली इसकी प्रमुख वजहें हैं।
मोटापे से जुड़ी गंभीर बीमारियां
बच्चों में मोटापा कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है, जिनमें शामिल हैं:
टाइप 2 डायबिटीज: अधिक वजन के कारण इंसुलिन का सही तरह से उपयोग नहीं हो पाता।
हृदय रोग: कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है।श्वसन संबंधी समस्याएं: अधिक वजन के कारण सांस लेने में कठिनाई होती है।
जोड़ों में दर्द: अतिरिक्त वजन के कारण जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: मोटापे के कारण आत्मविश्वास की कमी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है।
मोटापे से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स की सलाह
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में मोटापे से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए:
संतुलित आहार का पालन करें: फास्ट फूड और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों से बचें।
नियमित शारीरिक गतिविधि करें: बच्चों को खेल-कूद और एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करें।पर्याप्त नींद लें: सही नींद न लेने से मोटापा बढ़ सकता है।
मानसिक तनाव कम करें: पढ़ाई का अधिक दबाव और डिजिटल डिवाइसेस का अत्यधिक उपयोग मानसिक तनाव बढ़ा सकता है।
खानपान में बदलाव से मोटापे से कैसे बचा जा सकता है?
फाइबर युक्त आहार लें: हरी सब्जियां, फल और साबुत अनाज को आहार में शामिल करें।
शुगर और जंक फूड से बचें: मीठे पेय पदार्थ और अधिक तला-भुना भोजन न खाएं।प्रोटीन युक्त आहार: दाल, दूध, दही और अंडे जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ बच्चों के विकास के लिए आवश्यक हैं।
पर्याप्त पानी पिएं: पानी मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है।
फिजिकल एक्टिविटी से कैसे बच सकते हैं मोटापे से?
रोजाना कम से कम 1 घंटे की शारीरिक गतिविधि करें।
साइकलिंग, स्विमिंग और आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें।योग और ध्यान से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करें।
स्क्रीन टाइम को सीमित करें और बच्चों को अधिक एक्टिव बनाएं।
लाइफस्टाइल में बदलाव से मोटापे पर प्रभाव
सुबह जल्दी उठने की आदत डालें।
समय पर भोजन करने की आदत विकसित करें।बच्चों को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रेरित करें।
परिवार के साथ भोजन करें, ताकि बच्चों को सही आदतें सिखाई जा सकें।
वर्ल्ड ओबेसिटी डे हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम और हमारा समाज इस गंभीर समस्या से कैसे निपट सकते हैं। बच्चों में मोटापे की बढ़ती दर चिंताजनक है, लेकिन सही खान-पान, नियमित व्यायाम और संतुलित जीवनशैली अपनाकर इसे रोका जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जाएं, तो मोटापे से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है और एक स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।