
वर्कप्लेस की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में ऑफिस वाली कॉफी से ज्यादादर लोगों का रिश्ता रहता ही हैं। सुबह की शुरुआत से लेकर मीटिंग्स के बीच में, थकावट के समय या बातचीत का बहाना ढूढ़ने के लिए, कॉफी कप हाथ में होना लगभग आदत बन गया है। लेकिन क्या आपको पता है कि ये कॉफी का कप हमारे दिल पर बोझ डाल रहा है... नहीं न। दरअसल, हाल ही में स्वीडन की Uppsala University और Chalmers University of Technology की एक रिसर्च ने इस आदत को लेकर चिंता जताई है।
इस रिसर्च में पाया गया कि ऑफिस में मिलने वाली मशीन वाली कॉफी में ऐसे पदार्थ पाए जाते हैं जो शरीर में "बैड कोलेस्ट्रॉल" (LDL) के स्तर को बढ़ा सकते हैं। ये कॉफी न केवल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाली है, बल्कि लंबे समय तक इसका सेवन हृदय स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
📌 क्या कहती है स्वीडन की रिसर्च?
Uppsala University और Chalmers University of Technology की इस संयुक्त रिसर्च में हजारों लोगों की डाइट, जीवनशैली और हेल्थ प्रोफाइल को जांचा गया। रिसर्चर्स ने पाया कि मशीन-ब्रूड कॉफी में कुछ विशेष प्रकार के डाइटरी डिटरपीन (dietary diterpenes) होते हैं — जैसे cafestol और kahweol। ये दोनों पदार्थ लीवर में कोलेस्ट्रॉल के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करते हैं और LDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। यह रिसर्च, जो Nutrition, Metabolism & Cardiovascular Diseases जर्नल में प्रकाशित हुई है, यह संकेत देती है कि कॉफी कैसे बनाई जाती है, यही तय करता है कि ये हानिकारक तत्व आपके कप में पहुंचेंगे या नहीं।

रिसर्च के अनुसार:
1. मशीन वाली कॉफी या pod-based coffee में cafestol की मात्रा ज्यादा होती है।
2. जो लोग दिन में 3-4 कप ऐसी कॉफी पीते हैं, उनका LDL (Low-Density Lipoprotein) स्तर 15-20% तक ज्यादा पाया गया।3. यह बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल आगे चलकर हृदय रोगों का खतरा बढ़ा सकता है।
🧪 रिसर्च में क्या-क्या जांचा गया?

2. अलग-अलग प्रकार की कॉफी — जैसे मशीन-ब्रूड, इंस्टेंट, फिल्टर और फ्रेंच प्रेस — का प्रभाव विश्लेषित किया गया।1. 22,000 से ज्यादा वयस्कों की डाइट और ब्लड प्रोफाइल का विश्लेषण किया गया।
3. पाया गया कि मशीन और फ्रेंच प्रेस कॉफी में फिल्टर न होने के कारण diterpenes की मात्रा ज्यादा होती है।4. वहीं फिल्टर कॉफी में यह पदार्थ लगभग न के बराबर होते हैं।
🧬 Cofestol और Kahweol कैसे बढ़ाते हैं कोलेस्ट्रॉल?
2. जिससे कोलेस्ट्रॉल का मेटाबॉलिज्म बाधित होता है।1. ये पदार्थ लीवर में bile acid synthesis को प्रभावित करते हैं।
3. परिणामस्वरूप, LDL कोलेस्ट्रॉल का स्तर खून में बढ़ने लगता है।4. अधिक समय तक इसका सेवन करने पर धमनियों में प्लाक जमने लगता है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
घर की कॉफी बनाम मशीन कॉफी: क्या है बेहतर?

घर पर बनने वाली कॉफी, खासकर जब उसे पेपर फिल्टर के साथ तैयार किया जाता है, सेहत के लिहाज़ से कहीं ज़्यादा सुरक्षित मानी जाती है। पेपर फिल्टर का इस्तेमाल करने से कॉफी में मौजूद हानिकारक डिटरपीन (जैसे cafestol और kahweol) छानकर बाहर निकल जाते हैं, जिससे यह कॉफी कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में लगभग शून्य असर डालती है। इसके अलावा, इंस्टेंट कॉफी भी एक सुरक्षित विकल्प है क्योंकि इसमें ये हानिकारक पदार्थ नगण्य मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए यदि आप घर पर इंस्टेंट या फिल्टर कॉफी पीते हैं, तो यह आपकी सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है।
इसके विपरीत, ऑफिस या रेस्टोरेंट्स में मिलने वाली मशीन कॉफी — जैसे फ्रेंच प्रेस, पॉड मशीन या बिना फिल्टर वाली ब्रूइंग तकनीक — में यही डिटरपीन भरपूर मात्रा में रहते हैं। जब इन्हें फिल्टर नहीं किया जाता, तो ये सीधे हमारे शरीर में जाकर लीवर पर असर डालते हैं और LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं। फ्रेंच प्रेस या मशीन-ब्रूड कॉफी में यह असर अधिक देखा गया है। रेस्टोरेंट में मिलने वाली एस्प्रेसो कॉफी का असर थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन यदि उसे भी अधिक मात्रा में पिया जाए, तो यह सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
📋 निष्कर्ष:
1. फिल्टर कॉफी या इंस्टेंट कॉफी ज्यादा सेहतमंद विकल्प हैं।
2. यदि आप घर पर कॉफी बनाते हैं, तो पेपर फिल्टर का उपयोग ज़रूर करें। यह डिटरपीन को छानकर अलग कर देता है।3. मशीन कॉफी (जैसे ऑफिस मशीन या पॉड्स वाली कॉफी) को नियमित रूप से पीना हानिकारक साबित हो सकता है।
❤️ दिल और कॉफी का कनेक्शन

कॉफी के कुछ फायदे भी हैं, लेकिन संतुलन ज़रूरी है:
☑️ एनर्जी बूस्ट करती है
☑️ मूड में सुधार लाती है
☑️ कुछ एंटीऑक्सीडेंट्स भी मिलते हैं
लेकिन:
❌ ज्यादा मात्रा में कैफीन हृदय गति बढ़ा सकता है
❌ ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव ला सकता है
❌ मशीन वाली कॉफी में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले तत्व होते हैं
इसलिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि: "कॉफी पीना गलत नहीं, लेकिन 'कैसे' और 'कितनी' पी जाती है, यह सबसे अहम है।"
🧘 क्या करें वर्कप्लेस में?

✔️ हेल्दी कॉफी हैबिट्स:
फिल्टर कॉफी विकल्प चुनें: यदि संभव हो तो ऑफिस में भी फिल्टर मशीन या पेपर फिल्टर का उपयोग करें।
दिन में 1-2 कप से अधिक न पिएं: मात्रा पर नियंत्रण रखें।ब्लैक कॉफी में चीनी और क्रीमर न डालें: ये अतिरिक्त फैट और कैलोरी देते हैं।ग्रीन टी या हर्बल टी को विकल्प बनाएं: इससे कैफीन कम होगा और एंटीऑक्सीडेंट मिलेंगे।कॉफी ब्रेक को वॉक ब्रेक बनाएं: हर बार बैठकर कॉफी पीने की बजाय थोड़ा टहलना ज़्यादा लाभदायक है।
🔍 रिसर्चर्स की राय
"हमने 14 प्रकार की कॉफी मशीनों का अध्ययन किया और पाया कि वर्कप्लेस में इस्तेमाल होने वाली कॉफी मशीनों में ये कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले तत्व आम ड्रिप-फिल्टर कॉफी मेकर की तुलना में कहीं ज़्यादा मात्रा में पाए गए।"
Dr. Elin Röös, Uppsala University से बताती हैं:
“हमारी रिसर्च का मकसद कॉफी को बुरा बताना नहीं, बल्कि यह समझाना है कि कुछ कॉफी ब्रूइंग तकनीकों के कारण हेल्थ पर गंभीर असर हो सकते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से हाई कोलेस्ट्रॉल या हृदय रोग के जोखिम में हैं।”
Dr. Rikard Landberg, Chalmers University के अनुसार:
“फिल्टर कॉफी या इंस्टेंट कॉफी की तुलना में मशीन वाली कॉफी या फ्रेंच प्रेस कॉफी में डिटरपीन की मात्रा कई गुना अधिक होती है। इस बारे में लोगों को जागरूक करना बहुत ज़रूरी है।”
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All photos credit to Copilot image creater |
🧑⚕️ किन लोगों को खास ध्यान देना चाहिए?
जिन्हें फैमिली हिस्ट्री है हृदय रोग की
जिन्हें पहले से हाई कोलेस्ट्रॉल हैडायबिटीज या ब्लड प्रेशर के मरीजजो धूम्रपान या अधिक शराब का सेवन करते हैंजिनकी फिजिकल एक्टिविटी कम है
इन सभी को मशीन कॉफी के अधिक सेवन से बचना चाहिए।
📝 निष्कर्ष
कॉफी हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन हर आदत की तरह इसमें भी संतुलन ज़रूरी है। स्वीडन की रिसर्च ने यह स्पष्ट किया है कि मशीन कॉफी का अधिक सेवन हमारी सेहत, खासकर हृदय स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है। फिल्टर कॉफी या इंस्टेंट कॉफी जैसे विकल्प ज्यादा सुरक्षित हैं।
☕ अगली बार जब आप ऑफिस में कॉफी मशीन की ओर बढ़ें, तो एक बार रुककर सोचें:
क्या मैं अपनी आदत से अपने दिल पर बोझ तो नहीं डाल रहा?