टहलना, एक ऐसा साधारण और प्राकृतिक व्यायाम है जिसे किसी भी उम्र के लोग आसानी से कर सकते हैं, लेकिन इसके फायदे अनगिनत हैं। दिन की शुरुआत हो या अंत, टहलना न केवल शरीर को फिट रखने में मदद करता है बल्कि मानसिक शांति और ताजगी भी प्रदान करता है। यह दिल की सेहत को सुधारने, वजन को नियंत्रित करने और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने का एक बेहतरीन तरीका है। चाहे आप सुबह की ताजगी का आनंद लेना चाहें या दिनभर की थकान को मिटाना चाहें, टहलना आपको शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर सशक्त बनाता है।
क्या होनी चाहिए टाइमिंग
एक सामान्य व्यक्ति के लिए रोजाना टहलने का समय कई स्थितियों पर निर्भर करता है, लेकिन यहाँ प्रमुख बिंदु हैं जो समय निर्धारण में मदद करते हैं:
सामान्य स्वास्थ्य: एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना कम से कम 30 मिनट मध्यम गति से टहलना चाहिए। यह कार्डियोवस्कुलर और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
वजन प्रबंधन: अगर लक्ष्य वजन कम करना या नियंत्रित करना है, तो 45-60 मिनट टहलना बेहतर होता है। इससे अधिक कैलोरी जलती है और मेटाबोलिज्म तेज होता है।
शारीरिक सक्रियता के स्तर: अगर व्यक्ति पहले से सक्रिय नहीं है, तो शुरुआत में 15-20 मिनट से टहलना शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे समय बढ़ा सकते हैं।
उम्र और स्वास्थ्य स्थिति: बुजुर्गों या जोड़ों की समस्याओं से ग्रस्त लोगों को अपनी क्षमता के अनुसार 20-30 मिनट प्रतिदिन टहलने की सलाह दी जाती है। यह समय धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य: मानसिक तनाव या चिंता को कम करने के लिए, रोजाना 20-30 मिनट की धीमी चाल से टहलना भी पर्याप्त हो सकता है। इससे मानसिक शांति और मूड में सुधार आता है।
रोजाना के लिए आदर्श समय व्यक्ति की दिनचर्या, स्वास्थ्य लक्ष्यों और शारीरिक क्षमता के अनुसार थोड़ा-बहुत अलग हो सकता है।
रोजाना टहलना क्यों जरूरी है
हृदय स्वास्थ्य में सुधार: नियमित रूप से टहलने से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, रक्तचाप नियंत्रित रहता है, और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता हैवजन प्रबंधन: टहलने से कैलोरी बर्न होती है, जिससे वजन कम करने और उसे बनाए रखने में मदद मिलती है।
डायबिटीज का नियंत्रण: रोजाना टहलने से रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है।
जोड़ों के दर्द से राहत: टहलने से जोड़ों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और दर्द में कमी आती है।
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: टहलने से तनाव और चिंता कम होती है, मूड बेहतर होता है, और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है।
इन लाभों को प्राप्त करने के लिए, रोजाना कम से कम 30 मिनट तक टहलना चाहिए।
किस समय करें वॉक
रोजाना वॉक करने का आदर्श समय व्यक्ति की दिनचर्या और लक्ष्य पर निर्भर करता है। यहां प्रमुख बिंदु हैं जो वॉक का सही समय निर्धारित करने में मदद करते हैं:
सुबह का समय: सुबह के समय वॉक करना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि उस समय हवा ताजा होती है और प्रदूषण कम होता है। यह ऊर्जा को बढ़ाता है, दिन की अच्छी शुरुआत होती है, और पूरे दिन सक्रिय रहने में मदद मिलती है।
खाली पेट वॉक: खाली पेट सुबह वॉक करने से फैट बर्न तेजी से होता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, पाचन तंत्र भी बेहतर होता है।
शाम का समय: अगर आप सुबह वॉक नहीं कर पाते हैं, तो शाम को सूर्यास्त से पहले टहलना भी अच्छा होता है। इससे दिनभर की थकान और मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है, और नींद की गुणवत्ता भी सुधरती है।
भोजन के बाद हल्की वॉक: खाने के तुरंत बाद हल्की वॉक (10-15 मिनट) करना पाचन में सुधार करता है और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है, खासकर डायबिटीज के रोगियों के लिए।
व्यक्तिगत सुविधा और दिनचर्या: आदर्श समय वही होता है जो आपकी दिनचर्या में आसानी से फिट हो जाए। चाहे सुबह हो या शाम, नियमितता अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए, वह समय चुनें जो आपको लंबे समय तक पालन करने में मदद करे।
इनमें से कोई भी समय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, बस वॉक को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना सबसे ज़रूरी है।
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कितने तरह की कर सकते हैं वॉक
स्वास्थ्य लाभ के आधार पर वॉक के कई प्रकार होते हैं। यहां 6 प्रमुख प्रकार की वॉक बताई जा रही हैं:
ब्रिस्क वॉक (तेज़ चाल से चलना): यह सामान्य वॉक से थोड़ा तेज़ गति से चलने का तरीका है, जिसमें व्यक्ति की सांस थोड़ी तेज़ हो जाती है। यह दिल की सेहत सुधारने, कैलोरी बर्न करने और वजन घटाने में मदद करता है।
पावर वॉक: इसमें तेज़ गति से चलते हुए, हाथों और पैरों का तालमेल बनाकर चलना होता है। यह ब्रिस्क वॉक से अधिक तीव्र होता है और कैलोरी बर्न करने के साथ-साथ मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
लेजर वॉक (धीमी चाल से चलना): यह हल्की और धीमी चाल से चलने का तरीका है, जो सामान्यतः बुजुर्गों या शारीरिक रूप से कमजोर लोगों के लिए उपयुक्त होता है। यह मानसिक शांति और रक्त संचार को बेहतर करता है।
हाइकिंग (पहाड़ों पर चलना): प्राकृतिक स्थानों, पहाड़ों, या ट्रेल्स पर चलने को हाइकिंग कहते हैं। यह शरीर को ताकत देने के साथ-साथ मानसिक शांति और तनाव कम करने में सहायक है। यह पैरों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
नॉर्डिक वॉक: इस वॉक में दोनों हाथों में पोल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे स्कीइंग में होता है। यह पूरे शरीर की मांसपेशियों पर काम करता है और कैलोरी जलाने के लिए बहुत प्रभावी है।
ट्रेडमिल वॉक: यह घर या जिम में ट्रेडमिल पर चलने का तरीका है, जिसमें व्यक्ति अपनी गति और झुकाव को नियंत्रित कर सकता है। यह नियमित व्यायाम करने वालों के लिए सुविधाजनक होता है, खासकर तब जब बाहर जाने का समय न हो।
इन वॉक के प्रकारों का चुनाव व्यक्ति की फिटनेस, स्वास्थ्य लक्ष्य, और समय के अनुसार किया जा सकता है।
कैसा हो फूड मैनेजमेंट, डॉक्टर की सलाह कितनी जरूरी
रोजाना वॉक के दौरान सही डाइट और डॉक्टर की सलाह दोनों का महत्व है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
1. रोजाना वॉक के दौरान डाइट:
वॉक के पहले और बाद में सही आहार लेने से शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है और बेहतर परिणाम मिलते हैं। यहाँ कुछ डाइट संबंधी सुझाव दिए जा रहे हैं:
वॉक से पहले:
हल्का स्नैक: अगर आप सुबह वॉक कर रहे हैं, तो खाली पेट जाने की बजाय हल्का नाश्ता कर लें, जैसे एक केला, मुट्ठी भर ड्राई फ्रूट्स, या ओट्स। इससे शरीर को ऊर्जा मिलेगी और वॉक के दौरान थकान महसूस नहीं होगी।
पानी पीना: वॉक से पहले 1-2 गिलास पानी पीना जरूरी है, ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।
वॉक के बाद:
प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन: वॉक के बाद, शरीर को रिकवर करने और ऊर्जा बहाल करने के लिए प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट लेना चाहिए। अंडे, पनीर, मूंगफली का मक्खन, स्प्राउट्स, या दलिया जैसे खाद्य पदार्थ अच्छे होते हैं।
पानी या इलेक्ट्रोलाइट्स: वॉक के दौरान पसीना निकलने से शरीर में नमक और पानी की कमी हो सकती है, इसे पूरा करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट्स या नारियल पानी जैसे विकल्प सही होते हैं।
लंबी या तीव्र वॉक: अगर वॉक की अवधि लंबी है या आप बहुत तेजी से चल रहे हैं, तो साथ में पानी और हल्का स्नैक, जैसे नट्स या एनर्जी बार, रख सकते हैं।
2. डॉक्टर की सलाह कितनी जरूरी है:
डॉक्टर की सलाह वॉक के लिए खासतौर पर जरूरी हो सकती है, खासकर अगर व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति सामान्य नहीं है। यहाँ कुछ स्थितियाँ दी जा रही हैं जहाँ डॉक्टर की सलाह जरूरी हो सकती है:
हृदय रोग या उच्च रक्तचाप: यदि आपको दिल से जुड़ी समस्याएं हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें कि आपके लिए किस गति और कितनी अवधि की वॉक सुरक्षित है।
डायबिटीज: डायबिटीज के मरीजों को वॉक से पहले और बाद में ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर बता सकते हैं कि शुगर लेवल को किस प्रकार स्थिर रखना है।
जोड़ों की समस्या: अगर आपको गठिया या अन्य जोड़ों की समस्या है, तो डॉक्टर आपको विशेष प्रकार की वॉक या सपोर्ट (जैसे नॉर्डिक वॉक) का सुझाव दे सकते हैं ताकि जोड़ों पर ज्यादा दबाव न पड़े।
गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को भी डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में वॉक की तीव्रता और समय में बदलाव हो सकता है।
पुरानी बीमारियाँ या चोट: अगर आपको कोई पुरानी बीमारी है या आप चोट से उबर रहे हैं, तो डॉक्टर आपको उपयुक्त व्यायाम या वॉक करने की सही विधि बता सकते हैं।
डिस्क्लेमर : सारांश यह है कि नियमित रूप से वॉक करने के लिए सही डाइट का ध्यान रखना जरूरी है, और अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही वॉक की योजना बनानी चाहिए।