"सेहत के लिए कितना पानी है जरूरी: सही मात्रा, फायदे और सावधानियां"

पानी, जीवन का आधार है, जो न केवल हमारे शरीर के हर महत्वपूर्ण कार्य में सहायक है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। शरीर के लगभग 60% भाग में पानी होता है, जो तापमान को नियंत्रित करने, कोशिकाओं तक पोषक तत्व पहुँचाने, और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। फिर भी, अधिकतर लोग पानी की सही मात्रा और गुणवत्ता के महत्व को अनदेखा कर देते हैं, जिससे डिहाइड्रेशन, किडनी समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं। इस आर्टिकल में, हम जानेंगे कि पानी हमारे स्वास्थ्य के लिए क्यों आवश्यक है, कितनी मात्रा में पानी पीना चाहिए, और कैसे साफ पानी की उपलब्धता हमारे समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

किसे कितनी है जरूरत



दिनभर में पानी की सही मात्रा हर व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य, और शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करती है। यहाँ बच्चों, वयस्कों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा दी गई है:

  1. बच्चे (Child) (4-8 साल):
    बच्चों को लगभग 5-7 गिलास (1.5-1.7 लीटर) पानी पीना चाहिए। खेल और शारीरिक गतिविधियों के दौरान उन्हें अधिक पानी की आवश्यकता हो सकती है।

  2. किशोर (Teenage) (9-13 साल):
    किशोरों को 7-9 गिलास (1.7-2.2 लीटर) पानी पीने की सलाह दी जाती है, जो उनके शारीरिक विकास और गतिविधियों के लिए जरूरी है।

  3. वयस्क पुरुष (Adult):
    वयस्क पुरुषों को रोजाना 10-12 गिलास (लगभग 3-3.5 लीटर) पानी पीना चाहिए, विशेष रूप से यदि वे शारीरिक श्रम या व्यायाम कर रहे हों।

  4. वयस्क महिलाएं (Adult Lady)
    महिलाओं को 8-10 गिलास (लगभग 2-2.7 लीटर) पानी पीने की सलाह दी जाती है। गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अधिक पानी की आवश्यकता हो सकती है।

  5. बुजुर्ग Senior citizens (60 वर्ष और उससे अधिक):

    बुजुर्गों को 7-8 गिलास (1.5-2 लीटर) पानी पीना चाहिए, क्योंकि उम्र के साथ प्यास का एहसास कम हो सकता है, इसलिए उन्हें नियमित रूप से पानी पीते रहना चाहिए।

कब जरूरी और कब कम जरूरी

पानी की अधिकता या कमी दोनों ही स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। यहाँ बताया गया है कि ये स्थितियाँ कब और कैसे नुकसान पहुंचा सकती हैं:

1. पानी की कमी (Dehydration):

  • शरीर में पानी की कमी होने पर सिरदर्द, चक्कर आना, और थकान जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • गंभीर डिहाइड्रेशन से किडनी फेलियर, ब्लड प्रेशर में गिरावट, और ऑर्गन डैमेज हो सकता है।

2. हीट स्ट्रोक (Heat strock) का खतरा:

  • गर्मियों में पानी की कमी से हीट स्ट्रोक हो सकता है, जो जानलेवा हो सकता है। शरीर का तापमान नियंत्रित न हो पाने के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है।

3. पानी की अधिकता (Hyponatremia):

  • अत्यधिक पानी पीने से शरीर में सोडियम का स्तर कम हो सकता है, जिसे हाइपोनेट्रेमिया कहा जाता है। इससे मस्तिष्क में सूजन, मतिभ्रम, और दौरे पड़ सकते हैं।

4. किडनी (Kidney) पर दबाव:

  • जरूरत से ज्यादा पानी पीने से किडनी पर अधिक भार पड़ता है, क्योंकि किडनी को अतिरिक्त पानी को फ़िल्टर करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।

5. पाचन तंत्र (Digestion system) में गड़बड़ी:

  • अत्यधिक पानी पीने से पेट में पानी की अधिकता हो सकती है, जिससे पाचन क्रिया धीमी हो सकती है और पेट में असहजता या सूजन महसूस हो सकती है।

मरीजों को कितना पानी



बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को पानी की सही मात्रा डॉक्टर की सलाह के अनुसार तय की जानी चाहिए, क्योंकि उनकी स्थिति विशेष हो सकती है। यहाँ बताया गया है कि डॉक्टर या एक्सपर्ट क्या कहते हैं:

1. बुखार और संक्रमण Fever and Viral infection 

  • बुखार, सर्दी-खांसी या वायरल इंफेक्शन में शरीर से अधिक तरल पदार्थ खो जाता है, इसलिए डॉक्टर अधिक पानी पीने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो और तापमान नियंत्रित रहे।
  • रोजाना 2.5-3 लीटर तक पानी पीने की सिफारिश हो सकती है।

2. गुर्दे की समस्याएँ (kidney problems):

  • किडनी रोग से पीड़ित मरीजों को अधिक या कम पानी की मात्रा पर ध्यान देना जरूरी है।
  • डॉक्टर अक्सर सीमित मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं, ताकि किडनी पर अधिक दबाव न पड़े और फ्लूइड रिटेंशन न हो।
  • उदाहरण के लिए, किडनी फेलियर में पानी की मात्रा को 1-1.5 लीटर तक सीमित किया जा सकता है।

3. दिल की बीमारी (Heart problem):

  • हृदय रोगियों को पानी की मात्रा सीमित करनी पड़ सकती है, खासकर यदि उन्हें कंजेस्टिव हार्ट फेलियर हो।
  • डॉक्टर उन्हें लगभग 1.5-2 लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर में अतिरिक्त फ्लूइड जमा न हो और दिल पर दबाव न पड़े।

4. मधुमेह (Diabetes):

  • डायबिटीज के मरीजों को पानी पीने की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करनी चाहिए, क्योंकि शरीर से अतिरिक्त शर्करा को फ्लश करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
  • डॉक्टर 3-3.5 लीटर पानी पीने की सलाह दे सकते हैं, खासकर यदि ब्लड शुगर का स्तर अधिक हो।

5. लीवर की समस्याएँ (Liver Problems)

  • लीवर रोग जैसे सिरोसिस या हेपेटाइटिस से ग्रसित मरीजों को भी पानी की मात्रा सीमित करनी पड़ सकती है, ताकि शरीर में फ्लूइड रिटेंशन से बचा जा सके।
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार, उन्हें लगभग 1.5-2 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है।

स्वच्छ पानी है सबसे लिए जरूरी



अगर पानी गंदा सप्लाई हो रहा है, तो उसे साफ और पीने योग्य बनाने के कई तरीके हैं। यहाँ प्रभावी तरीके दिए गए हैं:

1. उबालना (Boiling):

  • पानी को 5-10 मिनट तक उबालने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं।
  • यह सबसे सरल और प्रभावी तरीका है, खासकर बैक्टीरिया और वायरस से छुटकारा पाने के लिए।

2. फिल्ट्रेशन सिस्टम (Water Filters):

  • रिवर्स ऑस्मोसिस (RO), कार्बन फिल्टर्स या UV फिल्टर्स जैसे पानी फिल्ट्रेशन सिस्टम का उपयोग करके गंदे पानी को साफ किया जा सकता है।
  • ये फिल्टर पानी से गंदगी, कीटाणु और रसायनों को हटाकर इसे सुरक्षित और पीने योग्य बनाते हैं।

3. क्लोरीन ट्रीटमेंट (Chlorine treatment):

  • पानी में थोड़ी मात्रा में क्लोरीन डालकर उसे कीटाणुरहित किया जा सकता है। क्लोरीन बैक्टीरिया और वायरस को मारने में प्रभावी है।
  • हालांकि, पानी में सही मात्रा में क्लोरीन का उपयोग महत्वपूर्ण है। एक लीटर पानी के लिए 2-3 बूंद क्लोरीन पर्याप्त हो सकती है।

4. सोलर डिसइंफेक्शन (SODIS):

  • यह तरीका सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का उपयोग करके पानी को साफ करता है। पानी को साफ प्लास्टिक की बोतल में डालकर धूप में 6-8 घंटे तक रखा जाता है।
  • यह धूप से मिलने वाली UV किरणों से बैक्टीरिया और वायरस को मारकर पानी को सुरक्षित बनाता है।

5. पोटेशियम परमैंगनेट (Potassium Permanganate):

  • पानी में थोड़ी मात्रा में पोटेशियम परमैंगनेट डालने से कीटाणुनाशक का प्रभाव हो सकता है, जो गंदे पानी को साफ करता है।
  • इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए और पानी हल्का गुलाबी होने तक ही मिलाना चाहिए।

कितना ताजा हो आपका पानी



घर पर स्टोर किए गए पानी का इस्तेमाल करने की समय सीमा कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे पानी को कैसे स्टोर किया गया है, भंडारण का तापमान और पानी की गुणवत्ता। यहाँ  बताया गया है कि कितने दिनों तक स्टोर किए गए पानी का सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है:

1. साफ कंटेनर में रखा ताजा पानी:

  • यदि पानी को साफ और एयरटाइट कंटेनर में स्टोर किया गया है, तो इसे 6 महीने तक सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इसे नियमित रूप से जांचना चाहिए कि पानी साफ और ताजगी से भरा हुआ हो।

2. फिल्टर किया हुआ पानी:

  • यदि पानी को घर में फिल्टर कर स्टोर किया गया है, तो इसे 1-2 हफ्तों के भीतर इस्तेमाल कर लेना चाहिए। लंबे समय तक स्टोर किए गए फिल्टर किए गए पानी में दूषित पदार्थ दुबारा आ सकते हैं, इसलिए इसे जल्द से जल्द उपयोग करें।

3. उबला हुआ पानी:

  • उबले हुए पानी को यदि अच्छे से बंद कंटेनर में स्टोर किया गया है, तो इसे 24-48 घंटे के भीतर उपयोग करना सबसे अच्छा होता है। लंबा समय होने पर इसमें बैक्टीरिया का जोखिम बढ़ सकता है।

4. क्लोरीन या अन्य रसायनों से शुद्ध किया गया पानी:

  • यदि पानी को क्लोरीन या किसी अन्य कीटाणुनाशक से शुद्ध किया गया है, तो इसे 2-3 हफ्तों तक स्टोर कर सकते हैं, बशर्ते इसे साफ और ढके हुए कंटेनर में ठंडी और सूखी जगह पर रखा गया हो।

5. प्लास्टिक की बोतलों में पैक किया गया पानी:

  • यदि बाजार से खरीदा हुआ पैकेज्ड पानी स्टोर किया गया है, तो यह 6 महीने से 1 साल तक उपयोग किया जा सकता है, लेकिन बोतल की एक्सपायरी डेट चेक करनी चाहिए और इसे सीधी धूप या गर्मी से दूर ठंडी जगह पर रखना चाहिए।

डिस्क्लेमर :  इस आर्टिकल में दिए गए सुझाव सामान्य हैं और व्यक्ति की गतिविधियों, मौसम, और स्वास्थ्य स्थितियों के अनुसार बदल सकते हैं। बीमारी के दौरान पानी की मात्रा का निर्धारण व्यक्ति की विशेष स्थिति, बीमारी की गंभीरता और डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है। वहीं यह ध्यान रखना जरूरी है कि पानी को साफ करते समय सही मात्रा और प्रक्रिया का पालन किया जाए। साथ ही स्टोर किए गए पानी को समय-समय पर जांचें और यदि उसमें कोई बदबू, रंग में बदलाव, या संदिग्ध स्वाद हो, तो उसे तुरंत फेंक दें।

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